न्यायाधीश हिदायत उल्ला खान के मार्गदर्शन में गत 22 फरवरी को उपजेल देपालपुर में बंदियों के अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाने हेतु विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर जिला न्यायाधीश हिदायत उल्ला खान ने कहा कि जेल में निरूद्ध बंदियों के लिए शैक्षिक एवं कौशल विकास कार्यक्रम विकसित किए जाने चाहिए ताकि वे रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न रह सकें। इससे जेल से रिहा होने के बाद उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल होने और सम्मानजनक जीवन जीने में सहायता मिलेगी। जिला न्यायाधीश श्री खान ने यह भी बताया कि बंदियों को ऐसी परिस्थितियों में रखा जाना चाहिए जो क्रूर या अमानवीय न हों। उन्हें पर्याप्त पोषण, उचित आवास, स्वच्छ वस्त्र, चिकित्सा सुविधा, व्यायाम, मनोरंजन के अवसर तथा निजता के अधिकार दिए जाने चाहिए ताकि वे अनुशासित एवं संरक्षित वातावरण में जीवन व्यतीत कर सकें।
शिविर के दौरान न्यायाधीश श्री खान ने जेल प्रशासन से बंदियों को उपलब्ध कराई जा रही चिकित्सा सुविधाओं, भोजन की पौष्टिकता, गुणवत्ता, परिजनों से मिलने की व्यवस्थाओं सहित अन्य कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त कर उनकी समीक्षा की। उन्होंने जेल में आयोजित किए जा रहे शैक्षिक एवं कौशल विकास कार्यक्रमों पर भी चर्चा की, ताकि बंदियों को समाज में पुनः स्थापित होने का अवसर मिल सके।

इस अवसर पर न्यायिक मजिस्ट्रेट दानिश अली, न्यायिक मजिस्ट्रेट रिजवाना कौसर, न्यायिक मजिस्ट्रेट दिव्या श्रीवास्तव सहित सहायक जेल अधीक्षक आर. एस. कुशवाह, प्रमुख प्रहरी रामेश्वर झाड़िया, फिजियोथेरेपिस्ट शिवानी श्रीवास्तव, प्रहरी विवेक शर्मा, प्रहरी आरती सोलिया, प्रहरी एकता पटेल, टेक्नीशियन इंदल सिंह राय एवं नायब नाजिर दिलीप यादव सहित संपूर्ण जेल स्टाफ उपस्थित रहा।
तहसील विधिक सेवा समिति देपालपुर के तत्वावधान में आयोजित उक्त विशेष शिविर के माध्यम से निश्चित रूप से बंदियों के पुनर्वास के लिए रचनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरणा भी मिली।