भारतीय समाज और कानून के अनुसार, विवाह एक पवित्र बंधन माना जाता है, और शादीशुदा रहते हुए किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध रखना अनैतिक है। यह टिप्पणी मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिला न्यायालय के न्यायाधीश ने एक दुष्कर्म मामले में की, जिसमें आरोपी को बरी किया गया। न्यायाधीश ने कहा कि कानून महिलाओं की सुरक्षा करता है, लेकिन अनैतिक आचरण, चाहे वह पुरुष का हो या महिला का, कानून की दृष्टि में अवैध होगा।
इस मामले में एक तलाकशुदा महिला ने अभिषेक राजौरिया पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म का आरोप लगाया। सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि महिला और युवक के बीच लिव-इन रिलेशन था और दोनों ने एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। जब महिला को युवक से पैसे मिलना बंद हो गए, तो उसने दुष्कर्म का झूठा मुकदमा दायर कर दिया। अदालत ने सभी तथ्यों को सुनने के बाद आरोपी को बरी कर दिया।
महिला ने पुलिस को अपनी शिकायत में कहा कि उसकी शादी 1999 में हुई थी, लेकिन पति के शराब पीने के कारण वह तलाक लेकर अपने पिता के साथ रहने चली गई। इस दौरान उसकी पहचान अभिषेक नामक युवक से हुई, जिसने उसे काम दिलवाने के बहाने होटल बुलाकर दुष्कर्म किया। जब महिला को पता चला कि युवक ने किसी और से शादी कर ली है, तब उसने उसके खिलाफ मामला दर्ज कराया। अदालत ने इस झूठे आरोप की गहराई से जांच की और न्याय किया।