देश के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें इंदौर के सांघी मोटर्स के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ हमेशा जुड़ी रहेंगी। वे 1995 में इंदौर आए थे और अपनी सादगी और कर्मचारियों के प्रति सहजता के कारण एक विशेष छाप छोड़ गए। एक कर्मचारी जब उनसे ऑटोग्राफ लेना चाहता था, तो उन्होंने टीशू पेपर पर साइन कर दिया और उसके कंधे पर हाथ रखकर बातचीत की।
29 साल पहले, रतन टाटा देवास की टाटा एक्सपोर्ट कंपनी में आए थे। उस समय सांघी मोटर्स का लसूड़िया क्षेत्र में एक बड़ा शोरूम और सर्विस सेंटर था। उन्होंने उसे देखने की इच्छा जताई और मनोरमागंज स्थित शोरूम में पंद्रह मिनट बिताए। उनके अचानक दौरे को देखते हुए, सांघी मोटर्स प्रबंधन ने चार अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक अनौपचारिक कार्यक्रम रखा, जिन्होंने शोरूम में 25 साल से अधिक समय बिताया था। उनमें से एक, जीएम नारायण सुमराणी ने बताया कि जब टाटा ने उन्हें सर्टिफिकेट दिए, तो अचानक पूछा कि क्या उस पर उनके हस्ताक्षर हैं। उन्हें लगा कि वे नाराज हो गए हैं, लेकिन उन्होंने बड़ी सहजता से शुभकामना संदेश के साथ सर्टिफिकेट के पीछे हस्ताक्षर कर दिए।
सुमराणी ने बताया कि उनके एक जूनियर ने रतन जी से ऑटोग्राफ लेना चाहा, तो उन्होंने टेबल पर रखे टीशू पेपर पर साइन कर दिया और पूछा कि क्या वह सेल्स देखता है। जब उसने हां कहा, तो रतन टाटा ने उससे पांच मिनट तक बातचीत की और मार्केट की जानकारी ली।
रतन टाटा खुद आर्किटेक्ट थे, और जब वे नए शोरूम पर पहुंचे, तो उन्होंने आर्किटेक्ट से शोरूम के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने लिफ्ट की लोड क्षमता से लेकर इंटीरियर्स तक कई जानकारियाँ लीं और शोरूम की प्रशंसा की।