अस्पताल प्रबंधन की घोर लापरवाही को उजागर कर रहा है । जिला चिकित्सालय में पिछले दो दिनों से हजार से अधिक मरीज अपना इलाज कराने पहुँच रहें हैं । मरीज किसी तरह ओपीडी पर्ची कटाने के बाद डाक्टर को अपना मर्ज बताकर दवाइयां तो लिखवा ले रहें हैं । लेकिन काउन्टर से दवाई ले पाना सारे मरीजो के लिए संभव नहीं हो पा रहा है । इसका मुख्य कारण दवा वितरण के तीन काउन्टर में से केवल एक का खोला जाना है । सैकड़ों मरीजों को केवल एक दवाई काउन्टर से दवाई का वितरण कर पाना असंभव है । ऐसी स्थिति में कई मरीजो को तो लम्बी कतार में घंटो इन्तेजार के बाद बिना दवाई लिए ही वहाँ से घर लौटने को मजबूर होना पड़ जाता है ।
दवाई दिलवा दो बाबू
मंगलवार को जिला अस्पताल में कई किलो मीटर का सफ़र तय कर ग्राम जनकपुर से एक वृद्ध मरीज पहुंचा । किसी तरह वह पर्ची कटाने के बाद डाक्टर तक पहुंचा और अपना मर्ज बताकर दवाई लिखवाई । लेकिन दवा वितरण काउन्टर में सैकड़ों मरीजों की कतार देख वह परेशान हो गया । वह यही कहता रहा कि बाबूजी बड़ी दूर से आया हूँ ,मुझे दवाई दिला दो ,वरना मेरी आखिरी बस भी छूट जाएगी । लेकिन हर मरीज को अपनी बारी का इन्तेजार था ,इसलिए उस बुजुर्ग मरीज को बिना दवाई लिए ही अस्पताल से लौटना पड़ा । अस्पताल प्रबंधन की इस अव्यवस्था के कारण बिना दवाई के लौटते हुए बुजुर्ग मरीज की आँखों से आंशू भी छलक आए ।
पांच फर्मासिस्ट की है पद स्थापना
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान समय जिला अस्पताल में एक-दो नहीं बल्कि पांच-पांच फार्मासिस्ट पदस्थ हैं ,इनमे से एक से लिपिकीय कार्य लिए जाने की जानकारी सामने आई है ,जबकि एक अन्य अवकाश में होना बताया गया है । इसके बावजूद तीन अन्य फार्मासिस्ट वर्तमान समय सेवारत हैं ,इसके बावजूद अस्पताल के कुप्रबंधन का आलम यह है कि दवाई वितरण के लिए केवल एक काउन्टर ही खोला गया है ।जबकि वहाँ पर दवा वितरण के लिए तीन -तीन काउन्टर मौजूद है ,जो बंद रहते हैं । पता चला है कि यह फार्मासिस्ट आपस में ही एक या दो घंटे का समय तय कर अपनी ड्यूटी पूरी कर लेतें हैं । जबकि इन फार्मासिस्ट की तीनो काउन्टर्स में ड्यूटी लगाकर दवा वितरण व्यवस्था को मरीजों के लिए आसान बनाया जा सकता है ।
सबके लिए एक काउन्टर
अस्पताल में दवा वितरण के लिए तीन तीन काउन्टर होने के बावजूद वर्तमान समय एक ही काउन्टर से महिला ,पुरुष ,वृद्ध व विकलांग मरीज को दवाई लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है । दवा वितरण केंद्र के बाहर लगी सैकड़ों मरीजों की कतार से शायद एसी रूम में बैठी हुई सिविल सर्जन भी अनजान बनी हुई है । जबकि नियमानुसार वृद्ध एवं विकलांग मरीजों के लिए प्रथक से काउन्टर खोले जाने का प्रावधान है ।
इस सम्बन्ध में चर्चा करने के लिए जिला अस्पताल की सिविल सर्जन डाक्टर शिल्पी सराफ से सम्पर्क करने की कोशिश की गयी लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई ।