मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक जीजा-साला की जोड़ी को उफनती तिघरा नदी के किनारे पितृ तर्पण करना महंगा पड़ गया। संजीव शिंदे और अमित पटनायक अपने पितरों के लिए जल और तर्पण करने गए थे, लेकिन नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण वे बीच में फंस गए। दोनों ने एक पेड़ की मदद से खुद को बचाया और उसी पेड़ के पास खड़े होकर मदद की गुहार लगाते रहे।
बारिश के बीच गवालियर मे तिघरा डैम के सात गेट खोले जाने के कारण नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया, जिससे जीजा-साला नदी के बीच फंस गए। नदी के किनारे गश्त कर रहे पुलिसकर्मियों ने उन्हें देखा और तुरंत मदद के लिए भागे। एनडीआरएफ की टीम के साथ मिलकर पुलिस ने काफी मेहनत से उन्हें सुरक्षित निकाला।
ग्वालियर में हालात गंभीर हैं, क्योंकि यह बारिश पिछले कुछ वर्षों के रिकॉर्ड को तोड़ रही है। मौसम विभाग ने ग्वालियर के लिए येलो अलर्ट जारी किया है, और ग्रामीण क्षेत्रों का जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है।
गश्त लगाती पुलिस को सबसे पहले जीजा-साला की कार दिखाई दी, जो नदी के तेज बहाव के करीब थी। कार देखकर उन्हें संदेह हुआ और उन्होंने आस-पास सर्चिंग शुरू की। सर्चिंग टीम को कुछ दूर पर दो युवक पानी में फंसे हुए मिले, जो एक पेड़ से लटके थे। उनकी जान को खतरा देख एनडीआरएफ को सूचित किया गया।
पुलिसकर्मी भी बचाव कार्य में जुट गए, लेकिन तेज बहाव के कारण मदद पहुंचाना कठिन था। पुलिस ने एक केबल की व्यवस्था की और दो पुलिसकर्मियों को केबल के जरिए दूसरी तरफ भेजा। इसके बाद, एक-एक करके दोनों व्यक्तियों को सुरक्षित निकाला गया। यह प्रयास स्थानीय पुलिस और एनडीआरएफ की तत्परता को दर्शाता है।
एनडीआरएफ द्वारा बचाए जाने के बाद, दोनों व्यक्ति जमीन पर गिर गए और कुछ समय चुपचाप रहने के बाद हंसने लगे। लेकिन थोड़ी देर बाद उनकी भावनाएं बदल गईं, और वे रोने लगे। उन्होंने रोते हुए पुलिस को धन्यवाद कहा और बताया कि वे तर्पण करने के लिए नदी के पास गए थे, जहां अचानक जलस्तर बढ़ जाने के कारण वे फंस गए थे। यह क्षण उनके लिए राहत और आभार का था, जब उनकी जान बचाई गई।
शहर की कई निचली बस्तियों, जैसे कृष्णा कॉलोनी, शील नगर और आदित्यपुरम, में जलमग्न की स्थिति बन रही है। वहीं, मुरार नदी एक बार फिर अपने उफान पर है, जिसका कारण रामबा डैम से पानी छोड़े जाने के चलते जल स्तर में वृद्धि है। इसके परिणामस्वरूप, नदी किनारे की बस्तियों में घरों की एक-एक मंजिल तक पानी भर गया है, जिससे लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।