मध्यप्रदेश में गाय के गोबर से बायो सीएनजी का उत्पादन शुरू होगा, जिससे ग्वालियर नगर निगम के वाहनों को ईंधन मिलेगा और इसे आम जनता के उपयोग के लिए भी उपलब्ध कराया जाएगा। यह प्लांट प्रदेश की सबसे बड़ी लाल टिपारा गोशाला में स्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज इस बायो सीएनजी प्लांट का उद्घाटन वर्चुअल माध्यम से किया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, और अन्य वरिष्ठ नेता और अधिकारी उपस्थित थे।
ग्वालियर में नगर निगम द्वारा संचालित प्रदेश की सबसे बड़ी गोशाला, लाल टिपारा, देश की आदर्श गौशालाओं में से एक बन चुकी है। कुछ साल पहले इसका संचालन संतों को सौंपा गया था, जिसके बाद लोग यहां जन्मदिन और शादी की सालगिरह जैसे खास मौके मनाने आते हैं। वर्तमान में यहां 9,850 गौवंश निवास कर रहे हैं, और रोजाना 100 टन गोबर निकलता है। इसी गोबर से स्थापित बायो सीएनजी संयंत्र से हर दिन 2 टन गैस का उत्पादन किया जाएगा।
गोशाला के प्रबंधन से जुड़े संत स्वामी ऋषभ देवानंद का कहना है कि यह मध्यप्रदेश में किसी गौशाला द्वारा किया गया एक अनूठा प्रयास है। उनका मानना है कि गोबर को सचमुच धन में बदला जा सकता है, और गैस के उत्पादन के बाद निकलने वाले वेस्ट का उपयोग खेती में भी किया जाएगा।
यह संयंत्र मध्यप्रदेश में अपनी तरह का पहला बायो सीएनजी प्लांट है, जिसका संचालन नगर निगम द्वारा किया जा रहा है। नगर निगम अधिकारियों के अनुसार, यह गोबर से गैस बनाने वाला राज्य का अनोखा संयंत्र है। इंदौर में एक बायो सीएनजी प्लांट पहले से है, लेकिन वहां गीले कचरे का इस्तेमाल होता है, जबकि यहां केवल गौवंश के गोबर का उपयोग किया जाएगा।
इस संयंत्र की स्थापना पर लगभग 31 करोड़ रुपये का खर्च आया है, जो इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन ने वहन किया है। वर्तमान में बायो सीएनजी की मांग सामान्य सीएनजी से अधिक है, क्योंकि इसमें 95% मीथेन होती है, जबकि सामान्य सीएनजी में यह मात्रा 90% होती है। यही कारण है कि बायो सीएनजी से चलने वाले वाहनों का माइलेज बेहतर होता है।