अब रियासत का ज़माना गुजरे वर्षों बीट चुकेहैं ,लेकिन कुछ सरकारी मुलाज़िम आज भी अपने आपको किसी नवाब व महाराजा से कम नहीं समझतें है ,इसकी झलक कल शहडोल के कलेक्ट्रेड परिसर में देखने को मिली । जहां कलेक्ट्रेड स्थित एनआईसी कक्ष में वीडियो कांफ्रेस अटेंड करने के बाद वापस लौटते समय शासकीय मेडिकल कालेज के डीन डॉ. जीबी रामटेके के वाहन के गेट को खोलने के लिए मेडिकल कालेज से 5 किलोमीटर की दूरी तय कर एक सुरक्षा कर्मी को वहाँ से कलेक्ट्रेड बुलाया गया था। जब उसने डीन डाक्टर रामटेके के वाहन का गेट खोला तो नवाबी तरीके से वह गाडी के अंदर बैठे और फिर वहां से रवाना हो गये । जबकि पहले से डीन के साथ एक गार्ड गाडी में मौजूद था ।
यहां गाड़ी का गेट खोलने वाले गार्ड का नाम अवधेष यादव हैं, जो सिर्फ इस काम के लिए दोपहर 2 बजे अपने दोपहिया वाहन से 5 किलोमीटर की दूरी तय कर मेडिकल कॉलेज से कलेक्ट्रेट पहुंचे थे । इनका यहाँ सिर्फ एक ही काम था कि डीन जब गाड़ी में बैठने आएं तो गेट खोलना है। गार्ड द्वारा गेट खोलने के बाद जब डीन बैठ गए तो गार्ड अपने दोपहिया वाहन से वापस मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी के लिए लौट गया ।
विदित हो कि कि डीन के साथ एक गार्ड गाड़ी में भी चलता हैं, वह गार्ड बुधवार को भी साथ था और गाड़ी में सामने बैठकर मेडिकल कॉलेज गया । इसके बाद भी दूसरे गार्ड की ड्यूटी केवल गाड़ी का गेट खोलने के लिए अलग से लगाया जाना समझ से परे लग रहा था ।
कलेक्ट्रेट में सेवाएं देने वाले दूसरे कर्मचारी बताते हैं कि ऐसा एक बार नहीं बल्कि लंबे समय से चल रहा है। मेडिकल कॉलेज के गार्ड अवधेष यादव बताते हैं कि कलेक्ट्रेट में गाड़ी खड़ी होने के बाद डीन के चढ़ने व उतरने के दौरान गेट खोलने के लिए ड्यूटी लगाई जाती है वह अपने दोपहिया वाहन से पांच किमी दूरी तय कर इस काम के लिए आतें हैं ।
इस बारे में जबडॉ. जीबी रामटेके, डीन मेडिकल कॉलेज शहडोल से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज में जरूरी सुविधाओं को लेकर वीसी में शामिल होने कलेक्ट्रेट के एनआईसी कक्ष गया था। मेरे साथ एक गार्ड गाड़ी में चलता है। दूसरे गार्ड से गाड़ी गेट खोलने मामले को टाल गये ।