द्वार का एक पाया बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था । लेकिन अचानक ऐसा होने को लेकर नगर के जैन समाज के धर्मावलम्बी संदेह व्यक्त कर रहें है । उनका कहना है कि इतना मजबूत द्वार कुछ समय पूर्व तक सुरक्षित हालत में था, लेकिन इसे ठोकर देकर क्षति ग्रस्त किया गया, फिर इसमें क्षतिग्रस्त का बोर्ड लग गया और आज इसे ढहा दिया गया । यह जांच का विषय है। हालांकि पिछले काफी समय से इस द्वार को चौड़ा करके बड़ा बनाने की चर्चा चल रही थी।
पूर्व में विधायक जय सिंह मरावी ने इसके पुनर्निमाण की घोषणा भी की थी।लेकिन इसके नव निर्माण के लिए कोई सार्थक प्रयास होता हुआ नजर नहीं आ रहा है । यह द्वार ऐसे समय में खतरे का अंदेशा जताते हुए ढहाया गया है ,जबकि भगवान श्री महावीर स्वामी के 2500 वा जन्म महोत्व वर्ष चल रहा है। ऐसे समय में तो उनकी याद में कुछ नव निर्माण होना था किंतु इसके विपरीत उनकी स्मृति में बने द्वार को ढहा दिया गया।
जैन धर्मावलम्बियों समेत नगर वासियों का कहना है कि इसे ढहाने का कारण भले ही कारण कुछ भी हो, लेकिन नगर की शान रहे इस प्रथम द्वार का अति शीघ्र पुनर्निमाण कराया जाना चाहिए । चूंकि इसकी घोषणा भी पूर्व में हो चुकी है ,इसलिए अब नगर प्रशासन की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि शीघ्र इसका पुनर्निमाण कराया जाए।
विदित हो कि पिछले कई दिनों से उक्त द्वार के नीचे से गुजरने पर रोक लगाते हुए वहाँ पर इसके क्षति ग्रस्त होने की सूचना लगाई गयी थी । द्वार का एक कालम (पाया) बुरी तरह क्षति ग्रस्त हो गया था ,जिससे उसके गिरने की संभावना बनी हुई थी । इसलिए किसी हादसे के पूर्व आज पुलिस की मौजूदगी में नगर प्रशासन द्वारा उसे जेसीबी से जमींदोज करा दिया गया ।