स्ट्रोक के बढ़ते मामलों के बीच इससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी जान लेना जरूरी है, क्योंकि सावधानी ही बचाव है। आजकल की खराब जीवनशैली, अस्वास्थ्यकर खानपान, तनाव और बुरी आदतों के कारण कई गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से एक गंभीर स्थिति है ब्रेन स्ट्रोक, जो पहले के मुकाबले अब काफी ज्यादा हो रहा है। हाल के वर्षों में स्ट्रोक से संबंधित खबरें आए दिन सुनने को मिल रही हैं, और चिंता की बात यह है कि अब युवा लोगों में भी स्ट्रोक का खतरा बढ़ रहा है।
स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है जिसमें ब्रेन तक खून का प्रवाह रुक जाता है या बहुत कम हो जाता है। जब रक्त प्रवाह कम हो जाता है, तो ऑक्सीजन और अन्य पोषक तत्व मस्तिष्क की कोशिकाओं तक नहीं पहुंच पाते। यदि मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, तो ये कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं। यह स्थिति कभी-कभी अस्थायी होती है और इसे मिनी स्ट्रोक या ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (TIA) कहा जाता है। डॉ. सुमित सिंह, जो कि आर्टेमिस हॉस्पिटल, गुरुग्राम में न्यूरोलॉजी के प्रमुख हैं, के अनुसार, इस स्थिति की पहचान करके जल्दी उपचार करना किसी व्यक्ति के जीवन को बचा सकता है।
स्ट्रोक का मुख्य कारण खराब जीवनशैली है। धूम्रपान, शराब का सेवन, अत्यधिक तनाव, अनिद्रा, और अन्य बुरी आदतें स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा, मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर भी स्ट्रोक के लिए जिम्मेदार होते हैं। अधिकांश लोग स्ट्रोक के बारे में जानते हैं, लेकिन इसके प्रकारों की जानकारी कम होती है। स्ट्रोक मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं: इस्केमिक स्ट्रोक और हेमरैजिक स्ट्रोक।
इस्केमिक स्ट्रोक में रक्त वाहिका में रुकावट आ जाती है, और यह सबसे सामान्य प्रकार है। इस प्रकार के स्ट्रोक के दौरान, मस्तिष्क तक पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं होता। कभी-कभी लोग ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक का अनुभव करते हैं, जो कुछ मिनटों के लिए होता है और यह बड़े स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।
दूसरी ओर, हेमरैजिक स्ट्रोक में मस्तिष्क में रक्तस्राव होने लगता है। जब मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त और ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं होती है, तब हेमरैजिक स्ट्रोक होता है। यह स्ट्रोक के कुल मामलों में से लगभग 10% से 20% मामलों में होता है। हेमरैजिक स्ट्रोक के मामलों में से आधे सबराच्नॉइड हेमरैजिक के होते हैं, जिसमें मस्तिष्क के चारों ओर रक्तस्राव होता है, जबकि बाकी इंट्रासेरेब्रल ब्रेन हेमरेज के होते हैं, जिसमें मस्तिष्क के अंदर रक्तस्राव होता है।
इस्केमिक स्ट्रोक में रक्त के थक्के के कारण मस्तिष्क तक खून नहीं पहुँच पाता। यह एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण भी हो सकता है, जहां रक्त का एक थक्का हृदय या कैरोटिड धमनियों से मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं तक पहुंचता है। जिन लोगों को उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, और डायबिटीज जैसी समस्याएं होती हैं, उनमें इस्केमिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
इस्केमिक स्ट्रोक के लक्षणों में शामिल हैं:
- शरीर के किसी हिस्से में अचानक से सुन्नपन आना।
- दाहिने या बाएं हिस्से में कमजोरी महसूस होना।
- चेहरे के एक तरफ झुकाव आना।
- अचानक दृष्टि में समस्या होना।
- चक्कर आना या संतुलन बनाए रखने में कठिनाई।
- चलने में कठिनाई या भ्रम महसूस होना।
- बहुत तेज सिरदर्द होना।
चिंता की बात यह है कि इस्केमिक स्ट्रोक का कोई सटीक इलाज नहीं है। हालांकि, आप रक्त के थक्के को हटवा सकते हैं। इसके लिए टिशु प्लास्मिनोजेन एक्टीवेटर (TPA) का उपयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में हाथ की नस से थक्के को खत्म किया जाता है। इसके अलावा, थ्रोम्बेक्टोमी की मदद भी ली जा सकती है, जिसमें सर्जरी के जरिए रक्त के थक्के को हटाया जाता है। स्ट्रोक के संकेत दिखने के छह घंटे के अंदर थ्रोम्बेक्टोमी करना आवश्यक होता है, लेकिन कई बार यह 24 घंटे के बाद भी प्रभावी हो सकती है।
दूसरी तरफ, हेमरैजिक स्ट्रोक तब होता है जब रक्त वाहिकाएँ फट जाती हैं और रक्त मस्तिष्क और उसके आस-पास इकट्ठा हो जाता है। हेमरैजिक स्ट्रोक के प्रमुख कारणों में एन्यूरिज्म और आर्टेरियोवेनोयस मैल्फोर्मेशन्स (AVM) शामिल हैं। एन्यूरिज्म में रक्त वाहिका की दीवार कमजोर हो जाती है और उसका फटना संभव होता है। यह आमतौर पर 40 साल से ऊपर के लोगों को प्रभावित करता है और इसके लक्षण दिखाई नहीं देते।
NCBI के अनुसार, हेमरैजिक स्ट्रोक के लक्षण इस्केमिक स्ट्रोक के समान होते हैं, जैसे कि शरीर में सुन्नता, एक तरफ कमजोरी, बोलने में परेशानी, और तेज सिरदर्द। हेमरैजिक स्ट्रोक के उपचार में मस्तिष्क में फैले रक्त को निकाला जाता है और रक्त वाहिकाओं की मरम्मत की जाती है। मस्तिष्क को अधिक नुकसान से बचाने के लिए ब्लड प्रेशर की निगरानी की जाती है।
अंत में, स्ट्रोक के मामलों में वृद्धि को देखते हुए जागरूक रहना बेहद जरूरी है। किसी भी लक्षण के अनुभव करने पर तुरंत चिकित्सकीय सहायता प्राप्त करें और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, और तनाव प्रबंधन से आप स्ट्रोक के खतरे को कम कर सकते हैं।