आजकल बाजार में मिलने वाले केले देखने में तो बहुत ताजे और रसीले लगते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये केले हमारी सेहत के लिए कितने खतरनाक हो सकते हैं? जी हां, ये केले अक्सर ज़हरीले केमिकल्स से पकाए जाते हैं, जो हमारी सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। यह फल, जिसे हम पोषण और स्वाद के लिए खाते हैं, कहीं हमारे शरीर में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को न बुला लाए।
केले में भरे जा रहे खतरनाक केमिकल्स
केले का स्वास्थ्य पर कई सकारात्मक प्रभाव होता है, लेकिन यह तब तक ही फायदेमंद है जब तक वह प्राकृतिक तरीके से पकाया गया हो। मार्केट में मिलने वाले केले, जिन्हें हम सामान्य रूप से खाते हैं, उनमें कैल्शियम कार्बाइड नामक एक खतरनाक केमिकल का उपयोग किया जा रहा है। यह केमिकल फलों को जल्दी पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके सेवन से शरीर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जैसे पेट की समस्याएं, तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव और यहां तक कि कैंसर का खतरा भी हो सकता है।
कार्बाइड क्या है?
कैल्शियम कार्बाइड एक ऐसा रसायन है, जिसे फलों को जल्दी पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह रसायन खासकर केले और अन्य फलों में बहुतायत से प्रयोग किया जा रहा है। इस केमिकल का प्रयोग भारत समेत कई देशों में बैन किया जा चुका है, लेकिन फिर भी इसका इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है। यह रसायन जब फलों पर इस्तेमाल किया जाता है, तो वह एसिटिलीन गैस पैदा करता है, जो जल्दी पकाने में मदद करता है। लेकिन यह गैस सेहत के लिए बहुत खतरनाक होती है। इससे फलों को खाने से कैंसर, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं और सांस की बीमारियां हो सकती हैं।
क्यों है कैल्शियम कार्बाइड इतना खतरनाक?
कैल्शियम कार्बाइड में आर्सेनिक और फॉस्फोरस जैसे खतरनाक तत्व होते हैं, जो सीधे तौर पर शरीर के अंगों पर असर डालते हैं। अगर यह केमिकल लंबे समय तक शरीर में जाता रहे, तो यह कैंसर जैसी बीमारियों को पैदा कर सकता है। भारत में खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2.3.5 के तहत कैल्शियम कार्बाइड के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है। फिर भी इसका इस्तेमाल हो रहा है, जो कि बहुत चिंता का विषय है।
सेहत पर क्या असर डाल सकता है?
- श्वसन संबंधी समस्याएं: कैल्शियम कार्बाइड से पकाए हुए केले खाने से सांस लेने में दिक्कत, खांसी और सीने में जलन हो सकती है। इसके कारण श्वसन तंत्र प्रभावित हो सकता है, जिससे व्यक्ति को फेफड़ों से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं।
- पाचन तंत्र पर असर: इस केमिकल का सेवन करने से पेट दर्द, दस्त, और जलन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं बहुत आम हैं, और यदि लंबे समय तक इस प्रकार के केले का सेवन किया जाए तो यह पाचन तंत्र को खराब कर सकता है।
- तंत्रिका तंत्र पर असर: कैल्शियम कार्बाइड से तंत्रिका तंत्र पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके कारण सिरदर्द, चक्कर आना, और ध्यान केंद्रित करने में समस्या हो सकती है। इसके अतिरिक्त, कुछ लोगों में भ्रम और मूड स्विंग्स भी हो सकते हैं।
- कैंसर का खतरा: लंबे समय तक कैल्शियम कार्बाइड के संपर्क में रहना कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। इस केमिकल में पाए जाने वाले आर्सेनिक और फॉस्फोरस जैसे तत्व शरीर में धीमे जहर का काम करते हैं, जो समय के साथ शरीर में कैंसर सेल्स को जन्म दे सकते हैं।
कैसे करें खराब केले की पहचान?
अब सवाल यह उठता है कि कैसे पता करें कि जो केला हम खा रहे हैं, वह केमिकल से पकाया हुआ है या प्राकृतिक तरीके से। यहां कुछ टिप्स दिए गए हैं, जो आपकी मदद कर सकते हैं:
- रंग देखें: केमिकल से पके केले का रंग चमकीला पीला होता है, जबकि प्राकृतिक रूप से पके केले का रंग हल्का पीला और थोड़े काले धब्बों वाला होता है।
- गंध पर ध्यान दें: प्राकृतिक तरीके से पके हुए केले की गंध मीठी होती है, जबकि केमिकल से पके हुए केले में थोड़ी अजीब और केमिकल जैसी गंध आती है।
- बाहरी बनावट: कार्बाइड से पकाए गए केले ऊपर से तो पीले दिखते हैं, लेकिन अंदर से वो सख्त हो सकते हैं। ऐसे केले का स्वाद भी फीका होता है, जबकि प्राकृतिक केला नरम और स्वादिष्ट होता है।
क्या है सुरक्षित विकल्प?
अगर आप अपने और अपने परिवार की सेहत को लेकर चिंतित हैं, तो कोशिश करें कि आप बाजार से सिर्फ ऑर्गेनिक और प्राकृतिक तरीके से पके केले ही खरीदें। एथिलीन गैस, जो कि एक प्राकृतिक हार्मोन होता है, को फलों को पकाने के लिए सुरक्षित माना जाता है। यह रसायन जब सही तरीके से इस्तेमाल किया जाता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होता।
आजकल बाजार में केमिकल से पके हुए केले बड़ी आसानी से उपलब्ध हैं, इसलिए जरूरी है कि हम इनसे सावधान रहें और प्राकृतिक तरीके से पके फलों का ही सेवन करें।