दुबई: हाल ही में कुवैत में एक इमारत में आग लगने से 50 से ज्यादा प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई, जिससे खाड़ी देशों में काम करने वाले मजदूरों की समस्याओं पर ध्यान गया। कई रिपोर्टें खाड़ी देशों में विदेशी कामगारों की कठिन परिस्थितियों को उजागर करती हैं।
वर्तमान में, ज्यादातर खाड़ी देशों में कफाला सिस्टम लागू है, जो मालिक-गुलाम की तरह की स्थिति उत्पन्न करता है। लेकिन अब सऊदी अरब इस सिस्टम को खत्म कर नया “माइग्रेंट डोमेस्टिक वर्कर्स लॉ” लाने की तैयारी कर रहा है। इस कानून के लागू होने से मजदूरों के साथ हो रही नाइंसाफी और अमानवीय परिस्थितियों में सुधार होने की उम्मीद है।
सत्तर के दशक से खाड़ी देशों में भारतीय कामगारों का आना-जाना शुरू हुआ था, और अब यह संख्या बढ़कर 87 लाख से ज्यादा हो चुकी है। ये कामगार बेहतर कमाई के लिए इन देशों में जाते हैं, लेकिन वहां की कठिन परिस्थितियों का सामना भी करते हैं।
गल्फ देशों में, जिनमें बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं, बड़ी संख्या में भारतीय काम कर रहे हैं। हालांकि, फारस की खाड़ी से जुड़े होने के बावजूद ईरान और इराक गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल का हिस्सा नहीं हैं, और वहां कम भारतीय जाते हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 10.34 मिलियन भारतीय एनआरआई रह रहे हैं। इनमें से करीब 3.5 मिलियन यूएई में, 2.59 मिलियन सऊदी अरब में, 1.02 मिलियन कुवैत में, 740,000 कतर में, 700,000 ओमान में, और 325,000 बहरीन में काम कर रहे हैं।
सऊदी अरब का नया कानून वहां काम कर रहे भारतीय कामगारों के लिए राहत लेकर आएगा और उनके काम करने की स्थितियों में सुधार करेगा।
 
					 
							
 
			 
                                