Shardiya Navratri 2024: नवरात्रि में हर महिला को करना चाहिए 16 श्रृंगार, इसके पीछे की खास वजह
Navratri के दौरान हर महिला का 16 श्रृंगार करना एक खास महत्व रखता है। त्योहारों में महिलाओं के इस श्रृंगार की महत्ता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, और इस पवित्र अवसर पर देवी मां का घर में वास होता है। भक्तजन मां को प्रसन्न करने के लिए भोग और अन्य धार्मिक क्रियाओं का सहारा लेते हैं, लेकिन घर की महिलाओं का 16 श्रृंगार करना एक सरल और प्रभावशाली तरीका है। इस दौरान, मां दुर्गा का श्रृंगार करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इससे मां की कृपा प्राप्त होती है।
महिलाओं को क्यों करना चाहिए 16 श्रृंगार
कहा जाता है कि सोलह श्रृंगार करने से घर परिवार में हमेशा खुशहाली बनी रहती है। मां दुर्गा को सोलह श्रृंगार बहुत प्रिय हैं। जब महिलाएं इस पावन अवसर पर सोलह श्रृंगार करती हैं, तो देवी मां उन पर और उनके परिवार पर प्रसन्न रहती हैं। ये श्रृंगार केवल सौंदर्य के लिए नहीं होता, बल्कि यह घर में सुख और समृद्धि लाने के लिए भी किया जाता है। ऋग्वेद में भी सोलह श्रृंगार का जिक्र किया गया है, जहाँ कहा गया है कि यह भाग्य को बढ़ाने में सहायक होता है। महिलाएं मां आदिशक्ति को प्रसन्न करने के लिए इस पावन पर्व पर श्रृंगार करती हैं।
कौन से हैं 16 श्रृंगार
सोलह श्रृंगार में कुल 16 विशेष चीजें शामिल होती हैं, जो इस प्रकार हैं:
- लाल जोड़ा – सोलह श्रृंगार का एक प्रमुख हिस्सा।
- बिंदी – इसे भगवान शंकर के तीसरे नेत्र से जोड़ा जाता है।
- मेहंदी – हाथों पर रची जाती है, प्रेम का प्रतीक।
- सिंदूर – यह सौभाग्य और सुहाग की निशानी है।
- गजरा – बालों में सजाया जाता है, फूलों की खुशबू का प्रतीक।
- काजल – बुरी नजर से बचाने के लिए।
- मांग टीका – यह सुंदरता बढ़ाता है और आध्यात्मिकता का प्रतीक है।
- चूड़ियां – ये खुशी और सौभाग्य का प्रतीक हैं।
- नथ – नथ का महत्व भी विवाह और सुहाग से जुड़ा है।
- बाजूबंद – ये नारी की सुंदरता को बढ़ाते हैं।
- कानों के झुमके – ये आकर्षण का प्रतीक होते हैं।
- पायल – पैरों में खनक के साथ-साथ सुहाग का प्रतीक।
- अंगूठी – यह प्रेम और संबंधों का प्रतीक है।
- बिछिया – यह महिलाओं के लिए खास महत्व रखती है।
- मंगलसूत्र – विवाह का प्रतीक है।
- कमरबंद – यह महिला के रूप-सौंदर्य को बढ़ाता है।
16 श्रृंगार के हर एक श्रृंगार का अर्थ
हर श्रृंगार का अपना विशेष महत्व है। जैसे:
- बिंदी: इसे आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाता है।
- सिंदूर: यह विवाहिता महिलाओं की पहचान है।
- मेहंदी: प्रेम और खुशियों का प्रतीक।
- काजल: इसे बुरी नजर से बचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
नौ दिन के 9 रंगों का ध्यान
यदि आप मां दुर्गा को खुश करने के लिए 16 श्रृंगार करने का निर्णय ले रही हैं, तो हर दिन के अनुसार भाग्यशाली रंगों का चुनाव करें। जैसे:
- पहला दिन: पीले रंग के कपड़े पहनें। यह दिन माँ दुर्गा की शक्ति का प्रतीक है।
- दूसरा दिन: हरे रंग का परिधान पहनें। यह ताजगी और जीवन का प्रतीक है।
- तीसरा दिन: ग्रे रंग का एथिनिक वियर पहनें, जो सादगी और गरिमा को दर्शाता है।
- चौथा दिन: ऑरेंज कलर की साड़ी या सूट पहनें, जो ऊर्जा का प्रतीक है।
- पांचवां दिन: सफेद रंग का परिधान पहनें, जो शांति और पवित्रता का प्रतीक है।
- छठा दिन: लाल रंग की साड़ी, सूट या लहंगा पहनें, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।
- सातवां दिन: नीला रंग का कपड़ा पहनें, जो स्थिरता और शांति का प्रतीक है।
- आठवां दिन: गुलाबी रंग का आउटफिट पहनें, जो प्रेम और स्नेह का प्रतीक है।
- नौवां दिन: जामुनी रंग के कपड़े पहनें, जो भक्ति और समर्पण का प्रतीक है।
इस नवरात्रि, अपनी आस्था और श्रद्धा के साथ 16 श्रृंगार करना न भूलें। इससे न केवल आपकी सुंदरता बढ़ेगी, बल्कि मां दुर्गा की कृपा भी आपके जीवन में बरसेगी। यह पर्व न केवल धार्मिकता का प्रतीक है, बल्कि यह महिलाओं के लिए आत्म-सम्मान और आत्म-विश्वास बढ़ाने का भी एक मौका है।