Gold: दशहरा-दिवाली पर सोना खरीदना चाहते हैं तो यह खबर जरूर पढ़ें, भारत में तेजी से बढ़ रहा ट्रेंड
भारत में सोने की खरीदारी का समय आ गया है, खासकर दशहरा और दिवाली जैसे त्योहारों के दौरान। यहां, व्यापारियों का साल 12 महीने नहीं, बल्कि 14 महीने का होता है। 12 सामान्य महीने, एक महीना दीपावली या फेस्टिव सीजन का, और एक महीना लग्न-सरा का। फेस्टिव और शादी के सीजन में अतिरिक्त कारोबार होने की वजह से लोग सोने की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। ये महीने भारतीय समाज में सोने की खपत के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।
वैश्विक बाजार में भी सोने की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारत में सोने की खपत न केवल व्यक्तिगत स्तर पर बढ़ रही है, बल्कि उद्योगों में भी जैसे आभूषण निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स और चिकित्सा उपकरणों में सोने का इस्तेमाल हो रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को विविधीकृत करने के लिए सोने की खरीदारी को प्राथमिकता दी है। सोना एक सुरक्षित और तरल संपत्ति मानी जाती है, जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच बेहतर सुरक्षा प्रदान करती है। रिजर्व बैंक की सोने की खरीदारी का एक मुख्य उद्देश्य डॉलर पर निर्भरता को कम करना भी है।
अगस्त 2024 में भारत में सोने का आयात पिछले साल की तुलना में दोगुना से भी ज्यादा बढ़कर लगभग 85,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। पिछले साल इसी महीने में यह आंकड़ा करीब 40,000 करोड़ रुपये था। सीमा शुल्क में कमी और त्योहारों के कारण सोने की मांग में यह वृद्धि हुई है।
सोना बचत का भरोसेमंद माध्यम
भारतीय समाज में सोने को महत्व देने के कई कारण हैं, जो सांस्कृतिक, धार्मिक, आर्थिक, और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से जुड़े हैं। सोने की खरीदारी का एक कारण है बचत और दूसरा उपहार देने की परंपरा, विशेषकर शादियों में दहेज या उपहार के रूप में। प्राचीन काल से ही सोना भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। यह न केवल एक मूल्यवान धातु है, बल्कि सामाजिक स्थिति और प्रतिष्ठा का भी प्रतीक है।
दीपावली, दशहरा और मकर संक्रांति जैसे त्योहारों पर सोने के आभूषण खरीदने की परंपरा विशेष महत्व रखती है। इन अवसरों पर सोना धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। लोग मानते हैं कि सोने का उपयोग करने से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
संकट में काम आने वाला इमरजेंसी फंड
भारतीयों के लिए सोना केवल एक स्थायी संपत्ति नहीं, बल्कि संकट के समय में काम आने वाला इमरजेंसी फंड भी है। चाहे आर्थिक स्थिति कैसी भी हो, सोना अपनी वैल्यू बनाए रखता है। आर्थिक संकट के समय, लोग सोने को एक सुरक्षित विकल्प मानते हैं, क्योंकि यह मुद्रास्फीति के मुकाबले ज्यादा स्थिर रहता है। इसलिए, भारतीय परिवार अक्सर अपनी बचत को सोने में निवेश करते हैं, जिससे वे अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं।
हाल के वर्षों में सोने की खरीदारी को लेकर एक नया ट्रेंड भी देखने को मिला है। एक हालिया स्वर्णकार सम्मेलन में इस बात पर चिंता व्यक्त की गई थी कि जो परिवार पहले नियमित रूप से त्योहारों और विशेष अवसरों पर सोने के जेवर खरीदते थे, अब उनमें कमी आ रही है। महानगरों में महंगे गैजेट्स और विदेश यात्राओं के कूपन देने का ट्रेंड बढ़ गया है।
गोल्ड ETF समेत सोने में निवेश के आधुनिक तरीके
आजकल, उच्च और उच्च मध्यवर्ग की महिलाएं महंगे जेवरों की जगह महंगे मोबाइल फोन, ट्रेंडी कारों और विदेश यात्रा को ज्यादा महत्व देने लगी हैं। सोने के जेवरों की जगह अब उनके स्टेटस को महंगे गैजेट्स और एसयूवी में मापा जाने लगा है। इसके साथ ही, गोल्ड ETF और अन्य आधुनिक निवेश उपकरणों के माध्यम से भी लोग सोने में निवेश कर रहे हैं। ये विकल्प सोने की खरीदारी को सुविधाजनक और लाभदायक बनाते हैं।
सोने की तस्करी पर लगाम लगाने के लिए सरकार के कदम
भारत में सोने के आयात के रिकॉर्ड स्तर पर सरकार की पूरी नजर है। सोने की तस्करी को रोकने के लिए सरकार ने जानबूझकर सीमा शुल्क दरों में भारी कटौती की है। वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि त्योहारों के मौसम में जौहरी अपने माल का स्टॉक करना शुरू करते हैं।
इस प्रकार, भारतीय बाजार में सोने की मांग और उपभोक्ता व्यवहार में बदलाव साफ दिखाई दे रहा है। दशहरा और दिवाली जैसे त्योहारों पर सोने की खरीदारी न केवल एक परंपरा है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सोना अब भी भारतीयों के लिए एक मूल्यवान और सुरक्षित निवेश का साधन बना हुआ है।