हेमा कमेटी की रिपोर्ट के आने के बाद से बॉलीवुड और टॉलीवुड में इसे लेकर चर्चा शुरू हो गई है। इस रिपोर्ट के संदर्भ में तनुश्री दत्ता ने एक बयान में कहा, “मैं इन समितियों और रिपोर्टों को समझ नहीं पा रही। मुझे लगता है कि ये पूरी तरह बेकार हैं। सात साल लग गए 2017 के मामलों पर रिपोर्ट तैयार करने में। इसके अलावा, इस नई रिपोर्ट का कोई मतलब नहीं है। उन्हें बस आरोपियों को गिरफ्तार करना चाहिए था और एक मजबूत कानून व्यवस्था लागू करनी चाहिए थी।”
तनुश्री ने नाना पाटेकर और दिलीप को “साइकोपैथ” करार देते हुए कहा, “नाना और दिलीप जैसे लोग साइकोपैथ हैं। उनका कोई इलाज नहीं है। मुझे इन समितियों की परवाह नहीं है और इस सिस्टम पर मुझे कोई भरोसा नहीं है। आरोपियों को सजा देने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।”
इसके अतिरिक्त, तनुश्री ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की असुरक्षा पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “इस सारी कागजी कार्रवाई का पालन कौन करता है? जो लोग कानून तोड़ना चाहते हैं, वे इसे तोड़ेंगे ही। ये सभी शिकारी मानसिक रूप से बीमार हैं। उनका दिमाग ठीक नहीं है।”
हेमा कमेटी रिपोर्ट का क्या है महत्व?
हेमा कमेटी रिपोर्ट को आधिकारिक तौर पर जस्टिस हेमा कमेटी रिपोर्ट के रूप में जाना जाता है। इसे 2017 में एक प्रमुख अभिनेत्री से जुड़े हाई-प्रोफाइल यौन उत्पीड़न मामले के मद्देनजर गठित किया गया था। इस रिपोर्ट में महिलाओं के यौन उत्पीड़न, शोषण और दुर्व्यवहार के मामलों को विस्तार से उजागर किया गया है। हालांकि, यह रिपोर्ट अब तक केरल सरकार द्वारा सार्वजनिक नहीं की गई थी, लेकिन हाल ही में आरटीआई अधिनियम के तहत सरकार को इसे 19 अगस्त 2024 को जारी करना पड़ा।
तनुश्री दत्ता की तीखी प्रतिक्रिया और नाना पाटेकर तथा दिलीप पर की गई टिप्पणियां इस मुद्दे को लेकर एक नई बहस को जन्म दे सकती हैं। फिल्म इंडस्ट्री में यौन उत्पीड़न के मामलों पर उठ रहे सवाल और रिपोर्टों की प्रभावशीलता पर लगातार चर्चा हो रही है।