Kerala की पारंपरिक मिठाईयों में पायसम एक खास स्थान रखता है, और जब बात केरल के सबसे पसंदीदा पायसम की होती है, तो पालाडा पायसम का नाम जरूर आता है। यह मिठाई, जो खासकर ओणम जैसे त्योहारों पर बनाई जाती है, केरल की मिठाई संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। इस पायसम का रंग हल्का गुलाबी होता है और इसमें भाप से पके हुए चावल के टुकड़े (आड़ा) होते हैं, जो इसे एक खास स्वाद और बनावट देते हैं।
Palada Payasam: A Modern Classic
Palada Payasam का इतिहास केरल के पारंपरिक पायसम्स की सूची में अपेक्षाकृत नया है। यह मिठाई मुख्यतः 1970 के दशक में व्हाइट रिवोल्यूशन के बाद लोकप्रिय हुई। उस समय दूध की भरपूर उपलब्धता ने इस मिठाई को एक नया रूप दिया। पहले, पायसम को आमतौर पर नारियल के दूध और गुड़ के साथ बनाया जाता था, लेकिन दूध की बढ़ती उपलब्धता ने पालाडा पायसम को नया लोकप्रियता प्रदान की।
The White Revolution’s Impact
व्हाइट रिवोल्यूशन, जिसे भारतीय राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा संचालित किया गया था, ने दूध की उपलब्धता को दोगुना कर दिया। इस परियोजना के कारण, दूध अब हर व्यक्ति के लिए उपलब्ध था, और यह बदलते समय की वजह से पालाडा पायसम का प्रचलन बढ़ा। पहले केरल में आड़ा प्रदामन जैसे पारंपरिक पायसम घरों में बनाए जाते थे, जिसमें आड़ा, गुड़ और नारियल के दूध का इस्तेमाल होता था। इसके साथ ही परिप्पू (दाल), चक्का (कटहल), और पझम (केला) जैसे अन्य पायसम भी बनाए जाते थे।
The Rise of Palada Payasam
Palada Payasam ने धीरे-धीरे अपनी जगह बनाई और लोगों के दिलों में बस गई। इसका खासियत इसका गाढ़ापन और इसका हल्का गुलाबी रंग है, जो देखने में बहुत आकर्षक लगता है। इसके साथ ही, भाप से पके हुए आड़ा के टुकड़े इस पायसम को एक अलग ही स्वाद और टेक्सचर देते हैं, जिससे यह खास बन जाती है।
A New Tradition
ओणम जैसे त्योहारों पर पालाडा पायसम का आना एक नई परंपरा बन गई है। हर साल, जब ओणम का समय आता है, तो नए-नए वेरिएंट्स के साथ पालाडा पायसम सामने आती है। केक, केक टब्स, केक जार्स, ट्रेस लेचेस, और यहां तक कि चीज़केक के रूप में भी पालाडा पायसम पेश की जाती है। यह देखने में बहुत ही रोचक होता है कि कैसे एक पारंपरिक मिठाई को नए-नए रूपों में पेश किया जाता है।
How Palada Payasam is Made
Palada Payasam बनाने की प्रक्रिया काफी सरल है। सबसे पहले, आड़ा (भाप से पका हुआ चावल) को दूध में पकाया जाता है। इसके बाद इसमें गुड़ और चीनी मिलाए जाते हैं। गुड़ और चीनी के मिल जाने के बाद, पायसम को धीमी आंच पर पकाया जाता है ताकि सभी फ्लेवर्स अच्छे से मिक्स हो जाएं और पायसम गाढ़ा हो जाए।
Regional Variations
हर क्षेत्र में पालाडा पायसम को बनाने का तरीका थोड़े-बहुत अलग हो सकता है। कुछ लोग इसमें नारियल के दूध का उपयोग करते हैं, जबकि कुछ इसे पूरी तरह से दूध के साथ बनाते हैं। कुछ लोग इसे सूखे मेवे और ड्राई फ्रूट्स के साथ सजाते हैं, जिससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है।
Popularity Among Locals
Palada Payasam की लोकप्रियता केरल में किसी भी त्योहार या खास मौके पर बढ़ जाती है। इसके स्वाद और बनावट के कारण यह मिठाई न सिर्फ स्थानीय लोगों के बीच बल्कि पर्यटकों के बीच भी बहुत पसंद की जाती है। जब आप केरल की यात्रा पर होते हैं, तो यह मिठाई आपको किसी भी स्थानीय समारोह या त्योहार में आसानी से मिल जाएगी।
Conclusion
Kerala का पालाडा पायसम, एक नये युग का प्रतीक है जो पारंपरिक पायसाम्स के साथ एक नया मोड़ लाया है। यह मिठाई अपने स्वाद और बनावट के कारण बहुत ही खास बन गई है। चाहे वह ओणम हो या कोई और त्योहार, पालाडा पायसम हमेशा लोगों की तालियों के साथ स्वागत करती है। इस पायसम के लोकप्रिय होने के पीछे की कहानी और इसके स्वाद की विविधता इसे एक अद्वितीय मिठाई बनाती है, जो हर किसी के दिल को छू जाती है।