Panama नहर की महत्वता और ट्रंप का नियंत्रण की मांग
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पनामा से आग्रह किया है कि वह पनामा नहर की फीस को कम करे या फिर इसे अमेरिका को वापस सौंप दे। ट्रंप ने आरोप लगाया कि पनामा अमेरिकी मालवाहक जहाजों से अधिक शुल्क वसूल रहा है, जिसे वह अनुचित मानते हैं। एरिज़ोना में अपने समर्थकों से बातचीत करते हुए ट्रंप ने कहा, “पनामा अमेरिका से मनमानी फीस वसूल रहा है, जो हमारे लिए बहुत महंगी है। हम इसे तुरंत रोकेंगे।”
पनामा नहर का ऐतिहासिक और सामरिक महत्व
पनामा नहर अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण जलमार्ग है, जो 82 किलोमीटर लंबा है। इसका निर्माण 1900 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ और 1914 में यह खोला गया। 1977 तक इसका नियंत्रण अमेरिका के पास था, बाद में पनामा और अमेरिका का संयुक्त नियंत्रण हुआ और 1999 में पूर्ण नियंत्रण पनामा को दे दिया गया। हर साल पनामा नहर से करीब 14,000 जहाजों की आवाजाही होती है, जिसमें कार्गो शिप, तेल और गैस से लेकर अन्य उत्पाद भी शामिल हैं।
ट्रंप का आरोप और पनामा का जवाब
ट्रंप का कहना है कि पनामा ने शिपिंग दरें बहुत बढ़ा दी हैं, जो अमेरिकी व्यापार के लिए महंगी साबित हो रही हैं। हालांकि पनामा के राष्ट्रपति होसे राउल मुनीलो ने ट्रंप के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि पनामा नहर पर पनामा का पूरा नियंत्रण है और इसकी संप्रभुता को लेकर कोई समझौता नहीं होगा। यह पनामा की स्वतंत्रता और संप्रभुता का मामला है, जो किसी भी स्थिति में समझौते का विषय नहीं हो सकता।
पनामा नहर की आधुनिक चुनौतियाँ
पनामा नहर की अहमियत वैश्विक व्यापार में अवश्य बनी हुई है, लेकिन इसे नई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है। नहर को वैश्विक व्यापार में प्रासंगिक बनाए रखने के लिए पनामा अरबों डॉलर खर्च कर रहा है, और इसे विस्तार देने की योजना पर काम हो रहा है। हाल ही में चीन के बढ़ते प्रभाव ने पनामा नहर की रणनीतिक अहमियत को और बढ़ा दिया है, क्योंकि यह नहर चीन को अमेरिका के पूर्वी तट से जोड़ती है।
स्वेज़ नहर और निकारागुआ नहर जैसी अन्य नहरों के निर्माण से पनामा नहर को प्रतिस्पर्धा का सामना भी करना पड़ रहा है। हालांकि, पनामा नहर का योगदान वैश्विक व्यापार में अब भी महत्वपूर्ण है।
चीन और पनामा का बढ़ता सहयोग
2017 में पनामा ने ताइवान से अपने राजनयिक संबंध खत्म कर चीन के साथ संबंध स्थापित किए। इससे पनामा और चीन के बीच आर्थिक और रणनीतिक सहयोग बढ़ा है। पनामा नहर के दो पोर्ट्स का संचालन हॉन्ग कॉन्ग की एक कंपनी कर रही है, जिससे चीन का प्रभाव नहर पर बढ़ने का आरोप लगाया गया है। ट्रंप ने इस पर कहा कि पनामा नहर चीन के लिए नहीं है और यह ग़लत हाथों में चली गई है। हालांकि, पनामा के राष्ट्रपति ने इसका खंडन करते हुए कहा कि नहर पर चीन का कोई नियंत्रण नहीं है, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष।
निष्कर्ष
पनामा नहर का इतिहास, सामरिक महत्व और वर्तमान में उसे मिलने वाली चुनौतियाँ यह दर्शाती हैं कि यह जलमार्ग केवल पनामा के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। ट्रंप की यह मांग, भले ही उनकी विदेश नीति के झुकाव को दर्शाती हो, लेकिन यह वैश्विक राजनीति और व्यापार के परिप्रेक्ष्य में पनामा नहर की अहमियत को नए तरीके से रेखांकित करती है।