बुढार स्टेशन के प्लेट फ़ार्म नम्बर एक में सुबह 6 बजकर 34 मिनट पर यह हादसा कानपुर से दुर्ग जाने वाली बेतवा एक्सप्रेस से हुआ । मृतक रायपुर का रहने वाला बताया जा रहा है । इस हादसे के बाद मानवता को शर्मसार करने वाला वाक्या पेश आया । सुबह साढ़े 6 बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक शव रेल ट्रैक पर ही खुला हुआ पड़ा रहा । इस बीच लाश के ऊपर से एक एक करके तीन यात्री ट्रेन धड़ाधड़ गुजरते चली गयी ,जिससे शव और अधिक क्षत विक्षत होता चला गया । रेल पुलिस और स्टेशन मास्टर की जानकारी के बाद भी वैकल्पिक रेल ट्रैक बुढार स्टेशन में होने के बाद भी लाश के ऊपर से ट्रेने गुजरने के कारण परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा । जिसके बाद बुढार स्टेशन में जमकर हंगामा हुआ । इस दौरान स्टेशन में काफी यात्री भी मौजूद रहे ,जिन्होंने रेल प्रबन्धन और रेल पुलिस की इस लापरवाही की कड़ी निंदा करते हुए मानव संवेदनशीलता के विपरीत बताया ।
जानकारी के अनुसार कानपुर सेंट्रल से दुर्ग तक जाने वाली बेतवा एक्सप्रेस ट्रेन नम्बर 18204 सुबह करीब 6 बजकर 34 मिनट पर बुढार स्टेशन के प्लेटफार्म नम्बर 1 से गुजर रही थी ,इस बीच उसमे सवार एक यात्री ट्रेन से नीचे पटरी पर गिर गया । इससे पहले वहाँ मौजूद अन्य यात्री उसे बचा पाते ट्रेन उसके ऊपर से गुजरते चली गयी ।ट्रेन आगे जाने के बाद जब लोगों ने पटरी के पास जाकर देखा तो यात्री के शरीर के तीन टुकड़े हो गये थे । जिसमे सिर और एक पैर पटरियों के बीच था ,जबकि धड़ प्लेटफार्म से सटा हुआ पड़ा था । ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि बेतवा एक्सप्रेस का बुढार में स्टापेज नहीं होने के कारण यात्री उतरने की हडबडाहट में वहाँ गिर गया होगा ।
एक- एक कर शव के ऊपर गुजरती गयी ट्रेन
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हादसा सुबह साढ़े 6 बजे के आसपास प्लेट फ़ार्म नम्बर 1 में हुआ ,उस समय स्टेशन में एक जीआर पी आरक्षक भी ड्यूटी पर मौजूद था ,साथ ही पोर्टर भी मौके पर कुछ देर में पहुँच गया । इसकी जानकारी उस समय स्टेशन में मौजूद स्टेशन मास्टर तक भी पहुँच गयी ,लेकिन स्टेशन मास्टर व रेल पुलिस की लापरवाही का नतीजा यह निकला कि हादसे के करीब 15 मिनट बाद उसी ट्रैक से भोपाल से दुर्ग जाने वाली अमरकंटक एक्सप्रेस को गुजार दिया गया ,जबकि रेल सूत्रों के अनुसार स्टेशन में वैकल्पिक रेल ट्रैक होने की स्थिति में मानवीय संवेदनशीलता को देखते हुए वहाँ से गुजरने वाली ट्रेन को अन्य रेल ट्रैक से गुजारा जाना चाहिए ताकि शव और अधिक क्षत विक्षत न होने पाए ।
इसके विपरीत हादसे के बाद सबसे पहले अमरकंटक एक्सप्रेस को उसी ट्रैक से आगे रवाना किया गया । इसके बाद भी शव ट्रैक में ही खुला पड़ा रहा । घटना के करीब चार घंटे बाद सुबह साढ़े 9 से 10 बजे के आसपास एक बार फिर बरौनी-गोंदिया एक्सप्रेस एवं शहडोल -बिलासपुर पैसेंजर ट्रेन को उसी ट्रैक से शव के ऊपर से गुजार दिया गया । जिससे शव से सिर और अलग होकर दूर चला गया । स्टेशन मास्टर एवं रेल पुलिस की इस मानवीय संवेदनहीनता के बाद मौके पर पहुँचे मृतक के परिजनों का गुस्सा फूट पड़ा ।कुछ देर के लिए स्टेशन में हंगामे की स्थिति निर्मित हो गयी । किसी तरह पुलिस ने मामला शांत कराया । इस प्रकार घटना के करीब 6 घंटे तक स्टेशन में क्षत विक्षत शव खुले में पड़ा रहा और उसके ऊपर से ट्रेने गुजरती रहीं ।
इस सम्बन्ध में जब एसईसीआर बिलासपुर के जन सम्पर्क अधिकारी अम्बिकेश साहू से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि मै इसकी जानकारी लेता हूँ ।