सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर हुई नियुक्तियाँ
भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश पर देश के पांच हाईकोर्ट में नए मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है। इन नियुक्तियों का उद्देश्य न्याय व्यवस्था को अधिक कुशल और संतुलित बनाना है। कॉलेजियम की अध्यक्षता भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने की।
जस्टिस संजीव सचदेवा बने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के स्थायी मुख्य न्यायाधीश
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को अब कार्यवाहक नहीं बल्कि पूर्णकालिक मुख्य न्यायाधीश मिल गए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में सेवाएं दे चुके जस्टिस संजीव सचदेवा को अब स्थायी रूप से मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है। वे 30 मई 2024 को ट्रांसफर होकर यहां आए थे और तब से कार्यवाहक के रूप में जिम्मेदारी निभा रहे थे। भारत सरकार के विधि और न्याय मंत्रालय ने उनकी नियुक्ति की अधिसूचना जारी की है, जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी प्राप्त है।
विवेक कुमार सिंह का ट्रांसफर मद्रास से मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को एक और नया न्यायाधीश मिला है – जस्टिस विवेक कुमार सिंह, जो अब तक मद्रास हाईकोर्ट में सेवाएं दे रहे थे। उनका स्थानांतरण भी भारत सरकार द्वारा अधिसूचित कर दिया गया है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकालत से की थी। 22 सितंबर 2017 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश बनाया गया और 6 सितंबर 2019 को स्थायी नियुक्ति मिली। वर्ष 2023 में वे मद्रास हाईकोर्ट स्थानांतरित हुए और अब मध्यप्रदेश में न्यायिक सेवाएं देंगे।
चार हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों का स्थानांतरण
इनके अलावा केंद्र सरकार ने चार अन्य हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों के तबादले को भी मंजूरी दे दी है।
- मद्रास हाईकोर्ट के लिए: जस्टिस के.आर. श्रीराम को राजस्थान से स्थानांतरित किया गया है।
- राजस्थान हाईकोर्ट के लिए: जस्टिस मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव को मद्रास से भेजा गया है।
- त्रिपुरा हाईकोर्ट के लिए: जस्टिस एम.एस. रामचंद्र राव का झारखंड से तबादला हुआ है।
- तेलंगाना हाईकोर्ट के लिए: जस्टिस अपरेश कुमार सिंह को त्रिपुरा से स्थानांतरित किया गया है।
न्याय व्यवस्था में संतुलन की पहल
इन नियुक्तियों और तबादलों का उद्देश्य न्यायिक प्रणाली में क्षेत्रीय संतुलन और प्रशासनिक विविधता सुनिश्चित करना है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 26 मई को इन बदलावों की सिफारिश की थी। अब इन पर सरकार की स्वीकृति के बाद प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है।
निष्कर्ष
इन नियुक्तियों से देश की न्यायिक व्यवस्था को मजबूती मिलेगी और लंबित मामलों के समाधान में तेजी आ सकती है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को अब स्थायी नेतृत्व मिलने से न्यायिक कार्यों में निरंतरता और पारदर्शिता बनी रहेगी।