सोनोरन रेगिस्तान की भीषण गर्मी और अब हाथियों को मिलेगा ‘आधार कार्ड’
गर्मी के प्रकोप के बीच जहां एक ओर दुनिया के सबसे गर्म इलाकों की चर्चा हो रही है, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के कान्हा टाइगर रिजर्व से हाथियों को लेकर एक अनोखी और तकनीकी पहल की खबर सामने आई है। चलिए जानते हैं दोनों ही मुद्दों को विस्तार से।
सोनोरन रेगिस्तान: जहां गर्मी है जानलेवा
अमेरिका और उत्तरी मेक्सिको में फैला सोनोरन रेगिस्तान दुनिया की सबसे गर्म और खतरनाक जगहों में से एक है। यहां का तापमान अक्सर 46 डिग्री सेल्सियस के करीब दर्ज किया जाता है, जिससे यह क्षेत्र इंसानों के लिए बेहद असुरक्षित माना जाता है।
इस रेगिस्तान में पाए जाने वाले कैक्टस के विशाल और नुकीले पेड़ न सिर्फ देखने में डरावने होते हैं, बल्कि कई बार जानवरों और इंसानों के लिए घातक भी साबित होते हैं। इसके अलावा, यहां पर एक और आकर्षण देखने को मिलता है — दुर्लभ प्रजाति का जगुआर, जो अब विलुप्त होने की कगार पर है।
इस क्षेत्र की जलवायु इतनी कठोर है कि यहां जीवन का टिकना ही एक बड़ी चुनौती बन जाती है।
कान्हा टाइगर रिजर्व की अनोखी पहल: अब हाथियों को मिलेगा आधार
मध्य प्रदेश के मंडला जिले में स्थित कान्हा टाइगर रिजर्व एक नई तकनीकी पहल की वजह से चर्चा में है। यहां पर रहने वाले 16 पालतू हाथियों को अब एक विशेष पहचान मिलने जा रही है — इंसानों की तरह ‘आधार कार्ड’।
यह सामान्य पहचान पत्र नहीं होगा, बल्कि इसे आधुनिक तकनीकों जैसे डीएनए प्रोफाइलिंग और माइक्रोचिपिंग के ज़रिए तैयार किया जाएगा। इसका उद्देश्य हाथियों के बेहतर संरक्षण, निगरानी और स्वास्थ्य देखभाल को सुगम बनाना है।
कैसे तैयार होगा हाथियों का ‘आधार कार्ड’?
इस प्रक्रिया के तहत हाथियों का खून सिरेंज की मदद से लिया गया है, जिससे उनके डीएनए की प्रोफाइलिंग की जाएगी। यह उनके आनुवंशिक इतिहास, स्वास्थ्य स्थिति और पूर्वजों की पहचान में मदद करेगा।
इसके अलावा, हर हाथी में एक माइक्रोचिप भी लगाई जाएगी, जिससे भविष्य में उनकी लोकेशन, मूवमेंट और व्यवहार को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा।
यह कार्य भारत सरकार के अधीन वन्यजीव संस्थान (WII) देहरादून द्वारा संचालित किया जा रहा है। यह पहल भविष्य में पूरे देश में हाथियों के लिए मानक बन सकती है।
निष्कर्ष
एक तरफ जहां दुनिया के कुछ इलाके गर्मी के कहर से डराते हैं, वहीं भारत में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में आधुनिक तकनीकों का समावेश हो रहा है। सोनोरन रेगिस्तान जैसे स्थान हमें जलवायु परिवर्तन की गंभीरता का एहसास कराते हैं, तो कान्हा का यह कदम हमें दिखाता है कि कैसे विज्ञान के माध्यम से पशुओं की देखभाल को और बेहतर किया जा सकता है।