सीएम मोहन यादव का बड़ा फैसला, तीन पंचायतों के नाम बदले जाएंगे
मौलाना नाम खटकता है, नाम लिखो तो पेन अटकता है
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उज्जैन जिले की तीन पंचायतों के नाम बदलने की घोषणा की है। यह बदलाव लंबे समय से ग्रामीणों द्वारा उठाई जा रही मांग के बाद किया गया है। सीएम ने बड़नगर में एक कार्यक्रम के दौरान इस महत्वपूर्ण फैसले का ऐलान किया।
नामों में परिवर्तन
अब उज्जैन के बड़नगर क्षेत्र की तीन पंचायतों के नाम बदल दिए जाएंगे। मौलाना का नाम अब विक्रम नगर, गजनीखेड़ा का नाम चामुंडा माता नगरी और जहांगीरपुर का नाम बदलकर जगदीशपुर किया जाएगा। यह नाम बदलने का प्रस्ताव सीएम मोहन यादव ने बड़नगर के गजनीखेड़ा गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में दिया, जब वह सीएम राइज स्कूल का लोकार्पण करने पहुंचे थे।
सीएम का बयान
कार्यक्रम के दौरान सीएम मोहन यादव ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि कई बार ग्रामीणों द्वारा पंचायतों के नाम को लेकर असहजता जताई जाती रही है, विशेष रूप से ‘मौलाना’ नाम से। उन्होंने कहा, “मौलाना नाम खटकता है, नाम लिखो तो पेन अटकता है। हमें समझ में नहीं आता कि इस नाम का गांव से क्या संबंध है।” इसके बाद उन्होंने घोषणा की कि मौलाना का नाम विक्रम नगर किया जाएगा। साथ ही गजनीखेड़ा का नाम चामुंडा माता नगरी और जहांगीरपुर का नाम जगदीशपुर किया जाएगा।
सीएम ने आगे यह भी कहा कि नाम बदलने की राजनीति के बारे में अगर मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े शहरों के नाम बदले जा सकते हैं, तो पंचायतों के नाम बदलने में कोई हर्ज नहीं है।
चामुंडा धाम में पूजा
सीएम मोहन यादव ने बड़नगर तहसील के गजनीखेड़ा गांव में स्थित चामुंडा धाम मंदिर में पूजा अर्चना की। इस दौरान उनके साथ ऊर्जा मंत्री प्रहलाद जोशी और सांसद अनिल फिरोजिया भी मौजूद थे। गजनीखेड़ा में स्थित यह ऐतिहासिक मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है और यहां स्थित मूर्तियां दुनिया की अत्यंत दुर्लभ मूर्तियों में से एक मानी जाती हैं।
ग्रामीणों की प्रतिक्रिया
गांव के लोगों का कहना है कि वे कई बार एसडीएम से पंचायतों के नाम बदलने की मांग कर चुके थे। गजनीखेड़ा के ग्रामीणों ने बताया कि सात साल पहले भी नाम बदलने की मांग उठाई गई थी, क्योंकि गांव का नाम मोहम्मद गजनवी के नाम पर पड़ा था। वहीं, जहांगीरपुर के लोगों का कहना है कि उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह से भी इस मुद्दे को उठाया था और लगभग 20 सालों से नाम बदलने की मांग कर रहे थे।
यह फैसला ग्रामीणों के लिए एक बड़ी राहत और पहचान का प्रतीक बन सकता है।