इस संबंध मे मिली जानकारी के अनुसार कोतमा थाना पुलिस को आज मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि चंगेरी लहसुई गांव तरफ से एक ट्रक जिसमें मवेशी लोड कर परिवहन किया जा रहा है। सूचना पर पुलिस द्वारा मौके पर रवाना होकर चंगेरी रेलवे अंडर ब्रिज के पास बड़ी सूझबूझ से रोड पर एक दूसरा ट्रक खड़ा कर मवेशी से लोड ट्रक को रुकवाया। जिसके बाद चालक से नाम पता पूछने पर अपना नाम निजामुद्दीन अहमद पिता मोबीन अहमद उम्र 42 वर्ष निवासी बरीपुर मूरतगंज थाना कोखराज जिला कौशांबी उत्तर प्रदेश का होना बताया।
यूपी ले जा रहे थे मवेशी
साथ ही ट्रक क्रमांक एमपी 09 एचजी 2400 में लोड सामान के संबंध में पूछने पर 21 नग लोड भैंसा भैंसी पड़वा के परिवहन के संबंध में कोई दस्तावेज न होना बताया। वाहन मालिक द्वारा बताया कि बल्लू खान का माल है, जो कि डुल्लू खान निवासी लहसुई गांव के बाडा में लखन साहू निवासी गढ़ी एवं रामकुमार साहू निवासी छुल्हा के द्वारा मवेशी इकठ्ठे करके रखे हैं। डुल्लू खान से संपर्क कर लोड कर लाने के लिए कहने पर लोड कर लेकर जाना बताया। उक्त ट्रक में 21 नग भैंसा भैंसी मवेशी मय ट्रक के जप्त किया गया। जिसकी कुल कीमत 16 लाख 10 हजार रूपए बताईं जा रही है। मवेशियों को सुरक्षार्थ कांजी हाउस में रखवाया गया है

इन पर दर्ज हुआ मुकदमा
कार्यवाही करते हुए पुलिस द्वारा आरोपी चालक निजामुद्दीन अहमद, बल्लू खान, डल्लू खान, लखन साहू, रामकुमार साहू के विरूद्ध मध्य प्रदेश कृषक पशु परिरक्षण अधिनियम की धारा 4, 6,6 (क) 11 एवं पशुओं के प्रति क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 11 घ तथा चालक द्वारा बिना परमिशन के पशु तस्कर करने से मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 130/ 177(3), 66/192 ए के तहत अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है। चालक के अलावा सभी आरोपी फरार हैं उक्त कार्रवाई में थाना प्रभारी कोतमा सुंद्रेश सिंह, प्रधान आरक्षक दिनेश राठौर, रामखेलावन यादव, आरक्षक अभय त्रिपाठी चक्रधर तिवारी, दिनेश किराडे एवं साइबर सेल आरक्षक पंकज मिश्रा का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
केशवाही व देवलोंद थाना क्षेत्र से भी तस्करी
विदित हो कि पुलिस जोन शहडोल अंतर्गत कोतमा के अलावा केशवाही चौकी एवं देवलोंद थाना क्षेत्र से भी इसी प्रकार एक लम्बे अर्से से पशु तस्करी का कारोबार चल रहा हैं। लेकिन इस ओर ध्यान देने की फुर्सत संबंधित थाना पुलिस को नही हैं या फिर यह समझा जाए कि थानो की पुलिस का इन अवैध तस्करो को संरक्षण प्राप्त हैं। इस ओर वरिष्ठ अधिकारियों को ध्यान देने की जरूरत हैं। ताकि पूर्ण रूप से इस पर अंकुश लगाया जा सके।