बीजेपी सांसद अनुपस्थिति पर नोटिस की तैयारी
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मंगलवार को लोकसभा में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़े विधेयकों के परिचय के दौरान अनुपस्थित रहे सांसदों को नोटिस भेजने की तैयारी की है। इनमें केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया और गिरिराज सिंह जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
थ्री लाइन व्हिप की अवहेलना
बीजेपी ने पहले ही लोकसभा सांसदों के लिए थ्री लाइन व्हिप जारी किया था, जिसमें निर्देश दिया गया था कि विधेयकों के परिचय के दौरान सभी सांसद उपस्थित रहें। लेकिन पार्टी के लगभग 20 सांसद इस दौरान गैरहाजिर रहे। सूत्रों के मुताबिक, अनुपस्थित सांसदों से स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।
क्या जानकारी दी गई थी अनुपस्थिति की?
यह स्पष्ट नहीं है कि अनुपस्थित रहे सांसदों ने पार्टी को अपनी गैरमौजूदगी के बारे में पहले से सूचित किया था या नहीं। एएनआई के मुताबिक, पार्टी सूत्र इस पर जांच कर रहे हैं।
विधेयकों का लोकसभा में परिचय
‘संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024’ और ‘केंद्रशासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024’ का मंगलवार को लोकसभा में परिचय दिया गया। ये विधेयक लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का प्रस्ताव रखते हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इन्हें सदन में प्रस्तुत किया।
विपक्ष का विरोध
विपक्ष ने इन विधेयकों के परिचय का विरोध किया और विभाजन की मांग की। इस दौरान 269 सदस्यों ने विधेयकों के परिचय के पक्ष में मतदान किया, जबकि 196 सदस्यों ने विरोध में वोट डाला।
जेपीसी को भेजे जाएंगे विधेयक
अब ये विधेयक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को आगे की चर्चा के लिए भेजे जाएंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि जब कैबिनेट में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ बिल को मंजूरी के लिए पेश किया गया था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुझाव दिया था कि इसे विस्तृत चर्चा के लिए जेपीसी को भेजा जाए।
अनुपस्थित सांसदों की सूची
अनुपस्थित रहे सांसदों में नितिन गडकरी, ज्योतिरादित्य सिंधिया, गिरिराज सिंह, शांता नु ठाकुर, जगदंबिका पाल, बीवाई राघवेंद्र, विजय बघेल, उदयराजे भोंसले, जगन्नाथ सरकार, जयंत कुमार रॉय, वी सोमन्ना और चिंतामणि महाराज शामिल हैं।
विपक्ष का हमला
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि सरकार के पास विधेयक पारित कराने के लिए जरूरी बहुमत नहीं है। उन्होंने सरकार से इस पर जोर देने से बचने की अपील की।
विधेयक पारित होने के लिए जरूरी बहुमत
हालांकि, विधेयकों का परिचय साधारण बहुमत से हो गया, लेकिन संविधान संशोधन विधेयकों को पारित करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार की कमजोरी को लेकर सवाल उठाए।