एमपी में 700 करोड़ का एंबुलेंस घोटाला, बड़ा खुलासा
मध्य प्रदेश में एक और बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है। कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने दावा किया है कि राज्य सरकार ने पिछले ढाई सालों में करीब 900 करोड़ रुपये का भुगतान एक निजी कंपनी को किया, जिसमें 600 से 700 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है। इस मामले के सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।
किराये पर दी गई एंबुलेंस की कीमत तीन गुना ज्यादा!
जयवर्धन सिंह का कहना है कि राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ की एक निजी कंपनी को ढाई साल में एंबुलेंस किराये के रूप में भारी रकम दी है। उनका आरोप है कि प्रत्येक एंबुलेंस के लिए 45 लाख रुपये का भुगतान किया गया, जबकि एक नई और पूरी तरह से सुसज्जित एंबुलेंस की कीमत महज 20 लाख रुपये होती है।
उन्होंने कहा कि यह पैसा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत केंद्र सरकार से मिला था, जिसका उपयोग सही तरीके से नहीं किया गया। यदि इस रकम का सही उपयोग होता, तो हजारों मरीजों, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकती थीं।
भुगतान के बावजूद सेवाओं में लापरवाही
जयवर्धन सिंह ने इस घोटाले के कई उदाहरण भी दिए। उन्होंने बताया कि गुना जिले से एक बच्चा भोपाल इलाज के लिए लाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ऑक्सीजन खत्म हो गई, जिससे उसकी मौत हो गई। ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां मरीजों को समय पर जरूरी सुविधाएं नहीं मिल सकीं।
निजी कंपनी को 40 से ज्यादा नोटिस, फिर भी पूरा भुगतान!
जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेज नाम की इस निजी कंपनी को 40 से ज्यादा बार नोटिस जारी किए गए, लेकिन फिर भी सरकार ने भुगतान जारी रखा। जयवर्धन सिंह ने सवाल उठाया कि जब कंपनी की सेवाएं इतनी खराब थीं, तो सरकार ने इसे पूरा भुगतान क्यों किया?
लोकायुक्त और EOW में होगी शिकायत
जयवर्धन सिंह ने कहा कि वह इस घोटाले की लोकायुक्त और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) में शिकायत दर्ज कराएंगे। उन्होंने मांग की कि इस मामले की गहराई से जांच होनी चाहिए और जो लोग सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर रहे हैं, उन्हें सख्त सजा मिलनी चाहिए।
बड़े खेल का हिस्सा है यह घोटाला!
जयवर्धन सिंह ने आरोप लगाया कि इस घोटाले में भाजपा के कुछ दलालों, सरकारी अधिकारियों और निजी कंपनी की मिलीभगत है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक घोटाला नहीं, बल्कि बड़े खेल का हिस्सा है। इस मामले को पूरी तरह उजागर किया जाना चाहिए, ताकि सरकारी धन का सही उपयोग हो और प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया जा सके।