कमलनाथ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट “एक्स” पर लिखा कि राज्य की भाजपा सरकार ने 6592 वनरक्षकों से पिछले 18 सालों में अधिक दिए गए वेतन की वसूली के लिए 165 करोड़ रुपये का आदेश जारी किया है। सरकार का दावा है कि 2006 से कार्यरत वन रक्षकों को ग्रेड पे के हिसाब से अधिक वेतन दिया गया है, जिसके चलते अब उनसे प्रति व्यक्ति औसतन 2.5 लाख रुपये की वसूली की जाएगी।
कमलनाथ ने उठाए ऑडिट पर सवाल
कमलनाथ ने लिखा कि सरकार के मुताबिक 2006 से कार्यरत वन रक्षकों ने अपने वेतन में ज्यादा पैसा ले लिया है, इसलिए उनसे 5 लाख रुपये तक की वसूली हो रही है। 2013 से कार्यरत वनरक्षकों से डेढ़ लाख रुपये की वसूली की जाएगी। लेकिन सवाल यह है कि जब एजी ऑफिस, ग्वालियर हर साल ऑडिट करता है, तो यह गलती कैसे हुई? आखिर कैसा ऑडिट किया गया?
वन रक्षकों पर दंड क्यों?
कमलनाथ ने आगे कहा कि यदि सरकार की गलती से अधिक वेतन दिया गया, तो उसका दोष सरकार का है, न कि वन रक्षकों का। वन रक्षकों पर दंड लगाने के बजाय यह सरकार को भुगतना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस आदेश को वापस लेने की मांग की है और तुरंत वसूली पर रोक लगाने की बात कही है।
क्या है पूरा मामला?
वन विभाग ने 6592 वन रक्षकों को साल 2006 से 2014 के बीच गलत पे बैंड (5680 रुपये के बजाय 5200 रुपये) के हिसाब से सैलरी दी। अब सरकार यह पैसा वापस लेने के आदेश जारी कर चुकी है। ट्रेनिंग पीरियड में दिए गए इंक्रीमेंट को भी गलत मानते हुए 741 वनक्षेत्रपालों (रेंजर्स) से औसतन 2.5 लाख रुपये तक की वसूली की जाएगी।