Neeraj Chopra: भारत के स्वर्णिम योद्धा की कहानी
नीरज चोपड़ा का परिचय
भारत के भाला फेंक चैंपियन नीरज चोपड़ा, जिन्हें “गोल्डन ब्वॉय” और “सरपंच” के नाम से जाना जाता है, ने अपनी मेहनत और काबिलियत से पूरे देश को गौरवान्वित किया है। 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले के खंडरा गांव में जन्मे नीरज का नाम आज एथलेटिक्स में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाता है।
नीरज ने अपनी शिक्षा डीएवी कॉलेज और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से पूरी की। भारतीय सेना में Subedar Major रैंक तक पहुँचने वाले नीरज ने 2016 में सेना जॉइन की और देश की सेवा के साथ खेल के क्षेत्र में भी कीर्तिमान स्थापित किए।
परिवार और बचपन
नीरज का परिवार एक किसान परिवार है। उनके पिता सतीश चोपड़ा और मां सरोज देवी खेती से जुड़े हैं। बचपन में मोटापे के कारण नीरज को कई बार ताने सुनने पड़े, लेकिन इसी ने उन्हें फिटनेस की तरफ मोड़ दिया। पास के जिम में एक्सरसाइज़ के दौरान उन्होंने भाला फेंक की ओर ध्यान दिया और धीरे-धीरे यह उनका जुनून बन गया।
मात्र 13 साल की उम्र में नीरज ने पंचकूला के ताऊ देवी लाल स्टेडियम में प्रशिक्षण शुरू किया। प्रारंभिक दिनों में प्रशिक्षकों की कमी थी, लेकिन उनकी लगन और मेहनत ने उन्हें राष्ट्रीय जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2012 में स्वर्ण पदक दिलाया।
अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत
नीरज ने 2013 में यूक्रेन में आयोजित वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में भाग लिया। 2016 में, साउथ एशियन गेम्स में 82.23 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता। उसी साल वर्ल्ड U20 चैंपियनशिप में उन्होंने 86.48 मीटर का थ्रो कर विश्व रिकॉर्ड बनाया।
टोक्यो ओलंपिक 2020: इतिहास रचने वाला पल
2020 टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीता। वह ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के दूसरे खिलाड़ी बने। यह उपलब्धि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण थी।
अन्य उपलब्धियाँ
- एशियन गेम्स: 2018 और 2022 में स्वर्ण पदक।
- डायमंड लीग फाइनल्स: 2022 में खिताब।
- वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2023: 88.17 मीटर के थ्रो के साथ गोल्ड।
- पेरिस ओलंपिक 2024: सिल्वर मेडल।
चुनौतियाँ और वापसी
2019 में कंधे की चोट के कारण नीरज कुछ समय के लिए खेल से दूर हो गए, लेकिन उन्होंने मैदान पर शानदार वापसी की। 2021 में 88.07 मीटर का थ्रो कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया।
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शादी और नई शुरुआत
जनवरी 2025 में नीरज ने टेनिस खिलाड़ी हिमानी मोर से शादी की। यह शादी पारंपरिक हरियाणवी रीति-रिवाजों के साथ हुई। हिमानी का परिवार भी खेल जगत से जुड़ा हुआ है।
हिमानी मोर और नीरज की शादी
नीरज और हिमानी की शादी ने समाज को एक नया संदेश दिया। हिमानी के पिता चांदराम मोर ने बताया कि यह रिश्ता दोनों परिवारों की आपसी सहमति से तय हुआ। शादी में दहेज नहीं लिया गया और इसे मात्र 1 रुपये में सम्पन्न किया गया।
शादी के बाद 18 जनवरी को नीरज पहली बार हिमानी के गांव लड़सौली पहुंचे। उनका स्वागत देसी खाने, जैसे मिक्स वेज, पनीर की सब्जी, दही, रोटी और उनकी पसंदीदा हरी चटनी से किया गया। मिठाई में खीर ने उनकी खास तारीफ बटोरी।
समाज के लिए मिसाल
हिमानी के पिता ने कहा कि दहेज जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करना उनका उद्देश्य था। नीरज और हिमानी ने समाज को यह संदेश दिया कि रिश्ते प्रेम और आपसी विश्वास से बनते हैं, न कि पैसों के लेन-देन से।
नीरज के जीवन से प्रेरणा
नीरज चोपड़ा की कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा है। एक छोटे से गांव से निकलकर ओलंपिक में स्वर्ण जीतने तक का सफर न केवल उनकी मेहनत का प्रमाण है, बल्कि यह दिखाता है कि सही मार्गदर्शन और आत्मविश्वास से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।
निष्कर्ष
नीरज चोपड़ा केवल एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि भारत के गौरव हैं। उनकी उपलब्धियाँ और जीवन दर्शन भारत के युवाओं को यह संदेश देते हैं कि अगर दिल में जुनून हो तो हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनकी कहानी भारतीय खेल इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो चुकी है।