महेश भट्ट का जन्म 20 सितंबर 1948 को मुंबई में हुआ। उनके पिता, नानाभाई भट्ट, गुजराती ब्राह्मण थे, जबकि उनकी मां, शिरीन मोहम्मद अली, गुजराती मुस्लिम थीं।
80 और 90 के दशक में महेश भट्ट ने commercial और parallel cinema के बीच बखूबी संतुलन बनाए रखा, और “अर्थ” (1982), “सारांश” (1984), “डैडी” (1989), “आशिकी” (1990), “दिल है कि मानता नहीं” (1991), “हम हैं राही प्यार के” (1993), और “ज़ख्म” (1999) जैसी critically acclaimed फ़िल्में बनाई। महेश भट्ट को Best Director, Best Actor, और Best Villain के लिए कई Filmfare Awards से भी सम्मानित किया गया है।
महेश भट्ट और उनके भाई मुकेश भट्ट का प्रोडक्शन हाउस, Vishesh Films, ने “राज़” (2002), “जिस्म” (2003), “मर्डर” (2004), “कलयुग” (2005), “गैंगस्टर” (2006), और “तुम मिले” (2009) जैसी कई सफल फिल्में प्रोड्यूस की हैं।
प्रारंभिक जीवन
महेश का जन्म मुंबई में हुआ था। उनके पिता नानाभाई भट्ट हिंदू थे और मां शिरीन मोहम्मद अली मुस्लिम। महेश ने अपनी पढ़ाई Don Bosco High School, Matunga से पूरी की। उनके माता-पिता का बचपन में ही तलाक हो गया और उन्हें उनकी मां ने पाला। महेश भट्ट ने ओशो और यू.जी. कृष्णमूर्ति जैसे दार्शनिकों का अनुसरण भी किया।
व्यक्तिगत जीवन
महेश भट्ट ने 1970 में किरण भट्ट से शादी की। उनके दो बच्चे, पूजा भट्ट और राहुल भट्ट हैं। किरण से अलग होने के बाद महेश ने अभिनेत्री सोनी राज़दान से शादी की और उनकी दो बेटियां हैं – शाहीन भट्ट और आलिया भट्ट।
फिल्मी करियर
महेश भट्ट ने अपने करियर की शुरुआत 21 साल की उम्र में राज खोसला के सहायक के रूप में की। उनकी पहली फिल्म “मंजिलें और भी हैं” (1974) थी, जिसमें कबीर बेदी और प्रेमा नारायण ने अभिनय किया था। 1979 में, उन्होंने “लहू के दो रंग” का निर्देशन किया, जिसने आलोचकों से सराहना प्राप्त की और दो Filmfare Awards जीते। 1982 में, महेश ने “अर्थ” का निर्देशन किया, जो उनकी निजी जिंदगी से प्रेरित थी।महेश भट्ट की सबसे बड़ी हिट “आशिकी” (1990) मानी जाती है। इसके बाद उन्होंने “दिल है कि मानता नहीं” और “साथी” का निर्देशन किया, जो दोनों ही फिल्में critical और commercial रूप से सफल रहीं।महेश भट्ट अपने अनोखे filmmaking style के लिए जाने जाते हैं। उनकी फिल्में अक्सर real-life incidents से प्रेरित होती हैं, जैसे “ज़ख्म” (1998), जो 1993 के मुंबई दंगों पर आधारित थी।महेश ने बाद में फिल्ममेकिंग से दूर होकर screenplay writing और production पर ध्यान केंद्रित किया। उनकी आखिरी फिल्म बतौर producer “कारतूस” (1999) थी। 2018 में उन्होंने “The Dark Side of Life: Mumbai City” से acting debut भी किया।
टेलीविजन करियर
1989 में महेश भट्ट ने “डैडी” नामक टेलीविज़न शो का निर्देशन किया, जिसमें पूजा भट्ट ने अपना डेब्यू किया।