लाल बहादुर शास्त्री, भारत के दूसरे प्रधानमंत्री, एक साधारण और विनम्र व्यक्तित्व के धनी थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनका परिवार बेहद साधारण था, उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे, लेकिन शास्त्री जी के बचपन में ही उनका निधन हो गया। उनकी मां ने उन्हें कड़ी परिस्थितियों में पाला और अच्छे संस्कार दिए।
लाल बहादुर शास्त्री बचपन से ही महात्मा गांधी के सिद्धांतों और अहिंसा से प्रभावित थे। उनके जीवन की एक घटना बहुत प्रसिद्ध है। जब वह छोटे थे, तो उन्होंने बैलगाड़ी से स्कूल जाने से मना कर दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि इससे जानवरों पर अत्याचार होता है। इसके बजाय, वह प्रतिदिन तैरकर नदी पार करके स्कूल जाते थे।
शास्त्री जी की राजनीतिक यात्रा भारत की स्वतंत्रता संग्राम से शुरू हुई। वह महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए Non-Cooperation Movement में सक्रिय रूप से भाग लेते थे। उन्हें कई बार ब्रिटिश सरकार द्वारा जेल में भी डाला गया, लेकिन इससे उनके आजादी के प्रति संकल्प और मजबूत हुआ।
1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद, लाल बहादुर शास्त्री भारतीय राजनीति में तेजी से उभरते गए। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें सबसे उल्लेखनीय था Minister of Railways। इस पद पर रहते हुए, उन्होंने एक ट्रेन दुर्घटना के बाद नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया, जो भारतीय राजनीति में ईमानदारी और जवाबदेही का एक अद्वितीय उदाहरण है।
1964 में, जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद, लाल बहादुर शास्त्री को भारत का दूसरा प्रधानमंत्री चुना गया। उनके कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। 1965 के Indo-Pak War के दौरान, शास्त्री जी ने देश की सेना और किसानों का मनोबल बढ़ाने के लिए “Jai Jawan Jai Kisan” का नारा दिया, जो आज भी भारतीय राजनीति और समाज में गूंजता है। इस नारे ने देश को यह संदेश दिया कि सेना और किसान दोनों देश के मजबूत स्तंभ हैं।
शास्त्री जी के कार्यकाल में Green Revolution और White Revolution जैसे महत्वपूर्ण अभियान भी शुरू हुए, जिनका उद्देश्य कृषि और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देना था। इससे भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बढ़ा।
जनवरी 1966 में, शास्त्री जी Tashkent (तत्कालीन सोवियत संघ) में पाकिस्तान के साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने गए। लेकिन दुर्भाग्यवश, इस समझौते के अगले ही दिन, उनका अचानक निधन हो गया। उनकी मृत्यु आज भी रहस्यमय मानी जाती है और इसके कारणों पर प्रश्नचिह्न बने हुए हैं।
लाल बहादुर शास्त्री का जीवन सादगी, ईमानदारी, और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक था। उन्होंने यह सिखाया कि नेतृत्व का मतलब सिर्फ शक्ति और अधिकार नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और त्याग भी है। उनके विचार और कार्य आज भी भारत के लोगों के दिलों में जिंदा हैं, और वह हमेशा एक प्रेरणास्त्रोत रहेंगे।