कश पटेल: जानिए ट्रंप के भारतीय मूल के FBI प्रमुख के लिए चयन के बारे में 5 महत्वपूर्ण बातें
डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा (Donald Trump’s Announcement)
अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुने गए डोनाल्ड ट्रंप ने 30 नवंबर को यह घोषणा की कि वह अपने पूर्व सहयोगी कश्यप ‘कश’ पटेल को फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) का नया निदेशक नियुक्त करेंगे। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, “मैं गर्व से यह घोषणा करता हूं कि कश्यप ‘कश’ पटेल को फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) का अगला निदेशक नियुक्त किया जाएगा। कश एक शानदार वकील, जांचकर्ता और ‘अमेरिका फर्स्ट’ समर्थक हैं, जिन्होंने अपना पूरा करियर भ्रष्टाचार को उजागर करने, न्याय की रक्षा करने और अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा में बिताया है।”
इस घोषणा के साथ ही कश पटेल की एफबीआई में नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पटेल की नियुक्ति के बाद, वह क्रिस्टोफर रे, जो वर्तमान में एफबीआई के निदेशक हैं, की जगह लेंगे। रे को ट्रंप ने 2017 में दस साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया था, लेकिन अब उनकी नियुक्ति पर सवाल खड़े हो रहे हैं और उनके इस्तीफे की संभावना जताई जा रही है। पटेल को इस पद पर नियुक्ति से पहले अमेरिकी सीनेट से मंजूरी प्राप्त करनी होगी, जिसमें उन्हें विपक्ष का सामना करना पड़ सकता है।
कश पटेल: भारतीय मूल से लेकर अमेरिकी राजनीति तक का सफर (Kash Patel: Journey from Indian Origin to American Politics)
1. भारतीय मूल के कश पटेल (Kash Patel – Indian Origin)
कश्यप प्रमोद पटेल (Kashyap Pramod Patel), जिन्हें हम कश पटेल के नाम से जानते हैं, का जन्म न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड में गुजराती-भारतीय माता-पिता के घर हुआ था। कश पटेल का संबंध भारतीय संस्कृति से गहरे तरीके से जुड़ा हुआ है और उन्होंने खुद को हिंदू धर्म से संबंधित बताया है। कश ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा न्यूयॉर्क में की और फिर रिचमंड यूनिवर्सिटी से क्रिमिनल जस्टिस (Criminal Justice) में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने पेस यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री प्राप्त की और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से अंतरराष्ट्रीय कानून में प्रमाणपत्र हासिल किया।
कश पटेल का करियर भी काफ़ी दिलचस्प रहा। उन्होंने 2005 से 2013 तक फ्लोरिडा में काउंटी और संघीय पब्लिक डिफेंडर के रूप में काम किया, इसके बाद 2014 में उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस में ट्रायल अटॉर्नी (Trial Attorney) के रूप में काम शुरू किया।
2. नुनेस मेमो (Nunes Memo)
कश पटेल को सबसे अधिक पहचान 2018 में मिली जब उन्होंने डेविन नुनेस के साथ मिलकर एक गुप्त मेमो तैयार किया था, जिसे “नुनेस मेमो” के नाम से जाना जाता है। इस मेमो ने एफबीआई की रूस से जुड़ी जांच पर सवाल उठाए थे।
नुनेस मेमो में आरोप लगाया गया कि एफबीआई ने ट्रंप के 2016 के चुनावी अभियान में सलाहकारों पर निगरानी रखने के लिए विदेशी खुफिया सेवा अधिनियम (Foreign Intelligence Surveillance Act) का दुरुपयोग किया। इस मेमो ने ट्रंप और उनके समर्थकों को रूस जांच पर सवाल उठाने का आधार दिया।
पटेल, जिन्होंने उस समय हाउस इंटेलिजेंस कमेटी में डेविन नुनेस के साथ काम किया, ने इस मेमो को तैयार किया था, जिसके जरिए एफबीआई की रूस जांच को खारिज करने की कोशिश की गई थी।
3. ट्रंप के कानूनी मामलों में समर्थन (Support in Trump’s Legal Affairs)
कश पटेल का ट्रंप के कानूनी मामलों में अहम भूमिका रही है। 2022 में, जब ट्रंप पर गोपनीय दस्तावेज़ों के मामले में जांच की जा रही थी, तो पटेल ने गवाही दी कि ट्रंप को इस मामले में निर्दोष हैं।
इसके अलावा, उन्होंने ट्रंप के समर्थन में 2020 के चुनाव परिणामों को पलटने की कोशिशों में भी भूमिका निभाई। पटेल ने कहा कि ट्रंप ने 6 जनवरी, 2021 को अमेरिकी कैपिटल में हुए दंगे से पहले ही 10,000 से 20,000 सैनिकों को तैनात करने की अनुमति दी थी। हालांकि, अदालत ने उन्हें इस मामले में “विश्वसनीय गवाह” नहीं माना।
4. एफबीआई में सुधार की योजना (Plan to Overhaul FBI)
यदि कश पटेल को एफबीआई का निदेशक नियुक्त किया जाता है, तो वह एफबीआई में बड़े बदलावों की योजना पर काम करेंगे। पटेल ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था, “एफबीआई का दायरा बहुत बड़ा हो गया है।”
उन्होंने अपनी किताब गवर्नमेंट गैंगस्टर्स में एफबीआई मुख्यालय को वाशिंगटन से बाहर स्थानांतरित करने की बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि एफबीआई में कई विभागों को कम करना चाहिए और उसकी कार्यप्रणाली में बदलाव लाना चाहिए ताकि वह अधिक प्रभावी तरीके से अपराधियों का पीछा कर सके।
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5. ‘डीप स्टेट’ की आलोचना (Criticism of the ‘Deep State’)
कश पटेल ने अपनी पुस्तक गवर्नमेंट गैंगस्टर्स में ‘डीप स्टेट’ (Deep State) को लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया है। ‘डीप स्टेट’ से उनका तात्पर्य उन चुनावी राजनीतिज्ञों, पत्रकारों और नौकरशाही के उन लोगों से है जो सत्ता के बाहर होते हुए भी फैसले प्रभावित करते हैं।
पटेल ने कहा था कि उन्हें उन पत्रकारों का भी पीछा करना चाहिए जिन्होंने जो बाइडेन के पक्ष में झूठ फैलाया और राष्ट्रपति चुनावों को प्रभावित किया। उन्होंने कहा, “हम आपको सभी को अपराधी या सिविल कार्रवाई के तहत पकड़ेंगे।”
कश पटेल की नियुक्ति का प्रभाव (Impact of Kash Patel’s Appointment)
यदि कश पटेल को एफबीआई का निदेशक नियुक्त किया जाता है, तो यह अमेरिकी राजनीति में एक नई दिशा की शुरुआत हो सकती है। उनकी कार्यशैली और विचारों के आधार पर, एफबीआई को अधिक राष्ट्रवादी दृष्टिकोण अपनाने की संभावना है। वे सुधारों के माध्यम से एफबीआई को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में काम करेंगे। इसके साथ ही, उनकी नियुक्ति से भारतीय समुदाय में भी गर्व की भावना पैदा हो सकती है, क्योंकि वे भारतीय मूल के पहले व्यक्ति होंगे जिन्हें एफबीआई के निदेशक के रूप में चुना जाएगा।
पटेल की कार्यशैली, उनके सुधारों की योजना और ‘डीप स्टेट’ पर उनकी कड़ी टिप्पणियाँ यह संकेत देती हैं कि यदि वे एफबीआई का नेतृत्व करते हैं, तो एजेंसी में बुनियादी बदलाव हो सकते हैं। उनके लिए यह कदम किसी चुनौती से कम नहीं होगा, क्योंकि उन्हें कई विपक्षी समूहों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन उनके समर्थकों का मानना है कि वे अपने उद्देश्यों में सफल होंगे।