फसलों को पीला मोजेक रोग से कैसे बचाएं: लक्षण और प्रबंधन के तरीके
पीला मोजेक रोग (Yellow Mosaic Disease) उन पौधों की पत्तियों को प्रभावित करता है जिन पर सफ़ेद मक्खियां बैठती हैं। जब ये मक्खियां संक्रमित पौधों से दूसरी फसलों पर जाती हैं, तो ये रोग खेतों में तेजी से फैल जाता है। इस साल के बेहतर मानसून के कारण किसानों को बार-बार सिंचाई करने में आसानी हुई है, लेकिन पीला मोजेक रोग किसानों के लिए एक नई चिंता बन गया है। यह एक विषाणु जनित रोग है।
अगर लगातार बारिश होती है, तो यह रोग नहीं फैलता, लेकिन अगर तीन से चार दिन के अंतराल पर बारिश होती है, तो संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
प्रभावित फसलें
इस रोग का असर दलहन फसलों जैसे सोयाबीन, उड़द, मूंग, साथ ही बैगन और मिर्च जैसी फसलों पर होता है।
पीला मोजेक रोग के लक्षण
- रोग की शुरुआत पत्तियों के पीले होने से होती है।
- पौधों की पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं।
- पत्तियां खुरदरी और मोटी हो जाती हैं।
- इसके साथ ही, पत्तियों का रंग गहरा हरा हो जाता है।
- संक्रमित पत्तियों पर हरे और पीले चितकबरे धब्बे दिखाई देते हैं।
पीला मोजेक रोग से बचाव के उपाय
- प्रभावित पौधों को जड़ से उखाड़कर फेंक दें और उन्हें जला दें ताकि संक्रमण अन्य पौधों में न फैले।
- बीजों को इमिडाक्लोप्रिड कीटनाशक के घोल में डुबोकर ही रोपाई करें। यह उपाय पौधों को इस रोग से बचाने में मदद करेगा।
- रोपाई के 30 दिन बाद एसिटामिप्रिड या इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करें, जिससे सफ़ेद मक्खी के संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
- रोग के लक्षण दिखते ही डायमेथोएट और मेटासीस्टॉक्स का मिश्रण पानी में मिलाकर छिड़काव करें। मेटासीस्टॉक्स और डायमेथोएट की 500 मिली मात्रा को समान पानी में मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें। इसे हर 15 दिन में दोहराएं।
इन उपायों के जरिए किसान पीला मोजेक रोग से अपनी फसलों को सुरक्षित रख सकते हैं और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।