चीकू की खेती से अधिक मुनाफा कैसे कमाएं, जानें तरीका और लाभ
यदि आप फल की खेती (Fruit Farming) शुरू करने का सोच रहे हैं, तो चीकू की खेती (Sapota Cultivation) आपके लिए एक लाभदायक विकल्प हो सकता है। इस खेती में किसानों को लागत का दोगुना मुनाफा मिलने की संभावना होती है। किसान अपनी आय बढ़ाने के लिए दलहन, तिलहन फसलों के साथ-साथ सब्जियों और फलों की खेती भी कर रहे हैं, ताकि कम लागत में अधिक मुनाफा कमा सकें। फलों की बाजार में हमेशा मांग बनी रहती है और इनके दाम भी अच्छे रहते हैं।
एक बार चीकू का पौधा लगाने पर, यह पेड़ लगभग 50 साल तक फल देता है, यानी किसान एक बार पौधों को लगाकर कई सालों तक मुनाफा कमा सकते हैं।
चीकू की खेती के लिए ध्यान देने योग्य बातें:
- चीकू की खेती के लिए बलुई दोमट और मध्यम काली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, जबकि उथली चिकनी मिट्टी इसके लिए उपयुक्त नहीं है।
- मिट्टी का पीएच मान 6 से 8 के बीच होना चाहिए।
- चीकू के विकास के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु बेहतर होती है।
- एक साल में चीकू के पेड़ से दो बार फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
- चीकू की खेती नर्सरी बनाकर की जाती है।
- पौधा लगाने के लिए गड्ढा खोदना होता है, जिसे कुछ समय खुला रखा जाता है ताकि हानिकारक जीवाणु नष्ट हो सकें।
- सभी गड्ढों में खाद और बालू मिलाकर रोपाई करनी चाहिए।
- रोपाई करने के लगभग एक साल बाद, प्रति पेड़ 4 से 5 टोकरी गोबर की खाद, अरंडी/करंज की खली और एनपीके का उपयोग किया जाना चाहिए। इसकी मात्रा को दस साल तक बढ़ाना जरूरी है।
- गर्मियों में 12 दिन के अंतराल पर और सर्दियों में 30 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी बेहतर होती है।
- सिंचाई के लिए ड्रिप तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- हमेशा पकने से पहले फलों की तुड़ाई नहीं करें। 5 से 10 साल का चीकू पेड़ सालभर में करीब 250 से 1000 फल दे सकता है।
इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन चलाया जा रहा है, जिसमें बागवानी फसलों पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है। सब्सिडी के बारे में अधिक जानकारी अपने क्षेत्र के उद्यान विभाग से प्राप्त की जा सकती है।
इस तरह, चीकू की खेती न केवल किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती है, बल्कि यह लंबे समय तक स्थिर आय का स्रोत भी बन सकती है।