DAP की कमी (DAP Shortage): किसानों के संघर्ष की बड़ी कहानी
DAP Shortage: रूस-यूक्रेन युद्ध, फारस की खाड़ी का संकट और भारत में खाद संकट के चलते, साल 2024 में डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) की बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई है। अप्रैल से अक्टूबर तक, DAP की बिक्री में 25.4% की कमी देखी गई। यह कमी खास तौर पर रबी फसलों की बुवाई के समय पर गहरा असर डाल रही है, क्योंकि DAP रबी फसलों के लिए एक प्रमुख खाद है।
हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में संकट
हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे कृषि प्रधान राज्यों में DAP Shortage किसानों के लिए बड़ा मुद्दा बन गई है। इस संकट ने सितंबर 2024 में गंभीर रूप लिया, जब DAP की सप्लाई और डिमांड में बड़ा अंतर पैदा हो गया। किसानों का कहना है कि रबी फसलों की तैयारी के लिए यह खाद बेहद जरूरी है, लेकिन कमी के कारण उन्हें कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
अंतरराष्ट्रीय हालात का असर
रूस-यूक्रेन युद्ध और फारस की खाड़ी में तनाव ने अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन पर गहरा प्रभाव डाला है। इन परिस्थितियों के कारण भारत में DAP का आयात महंगा और मुश्किल हो गया है। सरकार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रयासरत है, लेकिन फिलहाल किसानों को समय पर खाद उपलब्ध करवाना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
किसानों का संघर्ष
DAP की कमी (DAP Shortage) के चलते किसान स्थानीय बाजारों में ऊंचे दाम चुकाने को मजबूर हैं। कई जगहों पर लंबी कतारें और खाद वितरण में देरी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। रबी सीजन में समय पर बुवाई न हो पाने से उत्पादन पर भी असर पड़ सकता है, जिससे उनकी आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने इस संकट को लेकर त्वरित कदम उठाने की बात कही है। किसानों को राहत देने के लिए DAP की सप्लाई बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय बाजारों से आयात को सुगम बनाने के प्रयास जारी हैं। साथ ही, अन्य विकल्पों के इस्तेमाल को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है।
कुल मिलाकर, DAP की कमी (DAP Shortage) ने कृषि क्षेत्र में नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, जिनसे उबरने के लिए सरकार और किसानों को मिलकर समाधान खोजना होगा।