19 महीने की देरी के बाद हो रहे इस चुनाव का परिणाम तय करेगा कि MCD की सबसे ताकतवर बॉडी, स्टैंडिंग कमेटी, पर किस पार्टी का कब्जा होगा। स्टैंडिंग कमेटी में कुल 18 सदस्य होते हैं: 12 जोन से 1-1 सदस्य चुना जाता है, जबकि 6 सदस्य सीधे सदन में चुने जाते हैं। इसे मेयर से भी ज्यादा ताकतवर माना जाता है, क्योंकि MCD से जुड़े सभी महत्वपूर्ण फैसले यहीं पर होते हैं। इसलिए हर पार्टी स्टैंडिंग कमेटी पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है। स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन का पद जिस पार्टी के पास होगा, उसका MCD पर प्रभाव बढ़ जाएगा।
MCD की वार्ड कमेटियों के चुनाव 19 महीने की देरी से हो रहे हैं। मेयर शैली ओबेरॉय चाहती थीं कि चुनाव 4 सितंबर को न हों और उन्होंने MCD कमिश्नर अश्विनी कुमार से नामांकन के लिए एक हफ्ते का समय और मांगा था। लेकिन देर रात 11 बजे, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आदेश जारी किया कि सभी जोन के डिप्टी कमिश्नरों को वार्ड कमेटियों के चुनाव 4 सितंबर को ही कराने के निर्देश दिए जाएं।
दिल्ली में कुल 12 वार्ड कमेटियों के चुनाव होंगे, जो MCD की सबसे ताकतवर स्टैंडिंग कमेटी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। जबकि MCD में आम आदमी पार्टी के पास बहुमत है, वार्ड कमेटियों में संख्या में फर्क है। इन वार्ड कमेटियों में 10 एल्डरमैन भी वोट डाल सकते हैं, जिन्हें उपराज्यपाल ने उन कमेटियों में नियुक्त किया है जहां AAP को मामूली बहुमत मिला है। MCD में दल बदल कानून लागू नहीं है, जिससे AAP को चिंता है कि बीजेपी उनके कुछ पार्षदों को अपनी तरफ खींच सकती है।
MCD के 12 वार्ड समितियों के चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल (LG) की शक्तियां बढ़ा दी हैं। इस संबंध में एक नोटिफिकेशन भी जारी किया गया है। अब उपराज्यपाल को दिल्ली महिला आयोग, दिल्ली विद्युत नियामक आयोग जैसे किसी भी प्राधिकरण, बोर्ड और आयोग के गठन का पूर्ण अधिकार प्राप्त है।