यह घटना तब सामने आई जब महिला के पति ने बस्ती जिलाधिकारी से शिकायत की और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। सीएमओ ने इस मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की है।
मामले के अनुसार, महिला का अल्ट्रासाउंड करने के बाद यह पुष्टि हो गई थी कि बच्चा गर्भ में मृत हो चुका है। डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने का निर्णय लिया, लेकिन गलती से महिला का पूरा यूटरस हटा दिया। महिला के पति, मेवालाल पाल ने बताया कि यह उनकी पत्नी का पहला बच्चा था और डॉक्टरों ने कहा था कि वह सामान्य डिलिवरी करवा देंगे। हालांकि, ऑपरेशन के दौरान यूटरस की एक नस कट गई, जिससे अत्यधिक रक्तस्राव हुआ और अंततः पूरा यूटरस निकालना पड़ा।
मेवालाल पाल ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने इस गंभीर लापरवाही को स्वीकार करने के बजाय, पत्नी की स्थिति को गंभीर बताकर उसे अन्य जगह रेफर कर दिया। इस घटना के बाद, परिवार ने डॉक्टरों और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने बताया कि इस गलत ऑपरेशन के कारण अब तक 4 से 5 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं और पत्नी की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। शिकायत के बावजूद, अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है और परिवार को केवल दफ्तरों का चक्कर लगाने को मजबूर किया जा रहा है।
सीएमओ रमाशंकर दुबे ने कहा कि एक जांच टीम, जिसमें एक सर्जन और एक स्त्री रोग विशेषज्ञ शामिल होंगे, गठित की गई है। जांच रिपोर्ट के आधार पर संबंधित अस्पताल और चिकित्सकों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।