शाहनवाज का बीयूएमएस के रूप में कोई पंजीकरण नहीं था, और वह अस्पताल को फर्जी तरीके से चला रहा था।
अस्पताल में सर्जन महीने में केवल चार दिन आते थे, और बाकी दिन अस्पताल का संचालन झोलाछाप डॉक्टर के सहारे होता था। शाहनवाज ने स्थानीय लोगों को भ्रमित कर, खुद को बीयूएमएस डॉक्टर के रूप में प्रस्तुत किया और मरीजों का इलाज किया।
इस मामले के बाद, जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा अधिकारी ने बीएएमएस और बीयूएमएस डॉक्टरों के क्लीनिकों की जांच शुरू कर दी है। जो भी डॉक्टर एलोपैथिक प्रैक्टिस कर रहे हैं, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
आरोपी शाहनवाज के पिता के तीन मदरसों और मकान पर जल्द ही बुलडोजर चलाया जाएगा, क्योंकि वे सरकारी जमीन पर बने हुए हैं।
सर्जन डॉ. सरताज आलम ने कबूल किया कि वह महीने में केवल चार दिन ही अस्पताल आते थे, और बाकी समय झोलाछाप डॉक्टर गंभीर मामलों को देखता था। इस लापरवाही के चलते डॉ. सरताज पर मेडिकल नेग्लीजेंसी का मामला बन सकता है, और उनका लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। अब एनेस्थेटिस्ट डॉ. अरुण जैन से भी पूछताछ की जा रही है, जो उस समय सर्जरी में शामिल थे।
पूरी रिपोर्ट जांच पूरी होने के बाद प्रशासन को सौंपी जाएगी।