दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन, दिन के 03:12 बजे तक चतुर्दशी तिथि रहेगी, जिसके बाद अमावस्या शुरू होगी, जो एक नवंबर की शाम 05:15 बजे तक चलेगी। चित्रा नक्षत्र 31 अक्टूबर की रात 01:04 बजे तक रहेगा।
इसलिए, दीपावली और काली पूजा गुरुवार को मनाई जाएगी। 29 अक्टूबर (मंगलवार) की सुबह 11 बजे से त्रयोदशी तिथि आरंभ होगी, जो बुधवार की दोपहर 1:10 बजे तक रहेगी। इस दिन भौम प्रदोष, धन्वन्तरि जयंती और मास की शिवरात्रि भी है। इस दिन रात के पहले पहर में सरसों और कंरज तेल का चौमुखी दीपक दक्षिण दिशा में जलाने की परंपरा है। मान्यता है कि इससे घर में अकाल मृत्यु नहीं होती।
नर्क चतुर्दशी 30 अक्टूबर (बुधवार) को 1:10 बजे से गुरुवार की दोपहर 3:12 बजे तक है। इस दिन नर्क चतुर्दशी के साथ-साथ कामेश्वरी जयंती भी मनाई जाती है, जिसे छोटी दीपावली के रूप में जाना जाता है।
“खबरीलाल न्यूज़ में यह भी पढ़ें”मिर्जापुर के बड़े पर्दे पर मचेगा जबरदस्त भौकाल!
लक्ष्मी पूजन 6 बजकर 25 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 20 मिनट के बीज करना शुभ होगा.
दीवाली पूजा की विधि इस प्रकार है:
चरण 1: साफ-सफाई और तैयारी
घर की सफाई करें।पूजा स्थल को सजाएं। दीये, धूप, अगरबत्ती और अन्य पूजा सामग्री इकट्ठा करें।
चरण 2: लक्ष्मी पूजा
लक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।दीये जलाएं। लक्ष्मी जी को धूप और अगरबत्ती से पूजा करें।फल, फूल और मिठाई चढ़ाएं।लक्ष्मी मंत्रों का जाप करें: “ॐ श्री महालक्ष्म्यै नमः”
चरण 3: गणेश पूजा
गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।दीये जलाएं। गणेश जी को धूप और अगरबत्ती से पूजा करें।फल, फूल और मिठाई चढ़ाएं।गणेश मंत्रों का जाप करें: “ॐ श्री गणेशाय नमः”
चरण 4: कुलदेवता पूजा
कुलदेवता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।दीये जलाएं। कुलदेवता को धूप और अगरबत्ती से पूजा करें।फल, फूल और मिठाई चढ़ाएं।कुलदेवता मंत्रों का जाप करें।
चरण 5: आरती और समापन
लक्ष्मी जी, गणेश जी और कुलदेवता की आरती करें।पूजा का समापन करें। परिवार के साथ मिठाई और उपहार बांटें।
लक्ष्मी पूजा व्रत के लाभ: धन और समृद्धि की प्राप्ति। घर में सुख और शांति। लक्ष्मी जी का आशीर्वाद। व्यवसाय में सफलता और वृद्धि।