मध्य प्रदेश में कई नेताओं को अभी तक कोई पद नहीं मिला है, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, कमल नाथ के करीबी दीपक सक्सेना समेत कई अन्य नेता शामिल हैं। हाल ही में, पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कैलाश जोशी के बेटे और पूर्व मंत्री दीपक जोशी की भाजपा में वापसी के बाद एक बार फिर दल-बदल (Party switching) का मुद्दा सुर्खियों में है। वर्ष 2020 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए नेताओं में से अधिकांश अब तक सफल साबित हुए हैं और वे शिवराज सिंह की सरकार में प्रमुख पदों पर हैं। वहीं, 2023 विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा में शामिल हुए कई नेताओं की स्थिति अब कठिन हो गई है।
इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, दीपक सक्सेना, पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी और विधायक कमलेश शाह जैसे नेता शामिल हैं। इन नेताओं को भाजपा में कोई महत्वपूर्ण पद नहीं मिला है, जिसके कारण उनकी हताशा बढ़ती जा रही है। भाजपा के सूत्रों के अनुसार, पार्टी संगठन चुनाव के बाद ही इन नेताओं को मंत्री पद मिलने की उम्मीद है।
सिंधिया के साथ भाजपा में आए नेताओं जैसे गोविंद सिंह राजपूत, तुलसी सिलावट, प्रद्युम्न सिंह तोमर, और एदल सिंह कंषाना शिवराज सिंह सरकार और मोहन सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वहीं, भाजपा में शामिल हुए सुरेश पचौरी को राज्यसभा की एक खाली सीट देने का वादा किया गया था, लेकिन वह अब तक अपने पद से दूर हैं। दीपक सक्सेना को निगम-मंडल में नियुक्ति का आश्वासन दिया गया था, लेकिन उन्हें भी कुछ नहीं मिला। कमलेश शाह को भी मंत्री बनाने का वादा किया गया था, लेकिन वह केवल विधायक ही बने रहे।
मध्य प्रदेश में पिछले चार वर्षों से दल-बदल (Party switching) की राजनीति तेज़ी से हो रही है, जिसके कारण राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आया है। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस से आए सात नेताओं को टिकट दिया, जिनमें से सभी ने चुनाव जीतकर विधायक का पद हासिल किया। लोकसभा चुनाव से पहले भी कांग्रेस में भगदड़ की स्थिति बनी रही, और भाजपा में बड़ी संख्या में नेताओं ने सदस्यता ली, हालांकि अधिकांश को पद या मंत्री बनने का अवसर नहीं मिला।