बिजनौर की भौगोलिक स्थिति को देखें तो अमानगढ़ से नजीबाबाद तक घने जंगल फैले हुए हैं, जहां गुलदार और बाघों की भरमार है। वहीं, नजीबाबाद डिवीजन की अधिकांश रेंज में हाथी और गुलदार भी देखे जा सकते हैं। आरक्षित वन क्षेत्रों की तुलना में गन्ने के खेतों में गुलदार अधिक घूमते नजर आते हैं। एक अनुमान के अनुसार, जिले में 500 से ज्यादा गुलदार गन्ने के खेतों में हो सकते हैं। इस साल वन विभाग ने अब तक 46 गुलदार और उनके शावकों को पकड़ लिया है।
वरिष्ठ वन्यजीव विशेषज्ञ जोएल लॉयल के अनुसार, गुलदार ने गन्ने के खेतों को अपना स्थायी आवास बना लिया है और इन्हें यहां से हटाना अब मुश्किल हो गया है। अब लोगों को भी इनसे बचाव के तरीके सीखने होंगे।
हाल ही में गुलदार ने जमालपुर भूड़ में एक किसान को मारकर उसका मांस खा लिया, जिससे इसे नरभक्षी घोषित करने की मांग उठी है। वन विभाग ने गुलदार को नरभक्षी घोषित करने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा है, जिसमें बताया गया है कि पिछले 40 दिनों में चार से पांच किलोमीटर के दायरे में तीन लोगों की मौत हो चुकी है और तीन अन्य घायल हुए हैं।
गुलदार के बढ़ते हमलों से किसानों में आक्रोश है और उन्होंने गुलदार को मारने की अनुमति की मांग की है। वन विभाग ने गुलदार को पकड़ने के लिए घटनास्थल पर पिंजरे लगाए हैं और लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।